मणिपुर से इंफाल की ओर सफर। एनएच 39 |
नागालैंड के बाद मेरा अगला
पड़ाव है मणिपुर। वैसे तो मणिपुर जाने के दो रास्ते हैं। डिमापुर से कोहिमा होते हुए
इंफाल या फिर सिलचर से जिरिबाम होते हुए इंफाल। मैं कोहिमा से इंफाल के सफर पर हूं।
नेशनल हाईवे नंबर 39 पर पहाड़ों की सुंदर वादियों को हौले होले पार करती हुई बस कब
नागालैंड को अलविदा कह मणिपुर में प्रवेश कर जाती है पता ही नहीं चलता। वैसे मणिपुर
और नागालैंड के बीच भी सीमा विवाद है। मणिपुर में नागालैंड की सीमा पर कुछ नागामिज
बोलने वाले नागा गांव हैं। एनएससीएन आईएम के प्रमुख टी मुईवा इसी इलाके के रहने वाले
हैं।
नागालैंड रोड ट्रांसपोर्ट
की मेरी बस तादुबी नामक कस्बे में रुकती है, कुछ हल्का खाने पीने के लिए। पता चला ये मणिपुर राज्य
का छोटा सा बाजार है। यहां राइस होटल है। नास्ते में पूरी सब्जी भी मिल रही है तो खाने
में चावल दाल सब्जी के साथ तमाम मांसाहारी व्यंजन भी हैं।
चटकीली
धूप अटखेलियां कर रही है। इंफाल से डिमापुर जाने वाले कई वाहन भी यहां खाने पीने के
लिए रुके हुए हैं। इनमें बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले कई मजदूर भी हैं जो
अपने घर जा रहे हैं।
ये
लोग सालों से इंफाल में रहकर रूई धुनने का काम करते हैं। यहां अभी मशीन नहीं आई है।
रूई धुनने का काम परंपरागत धनुष के प्रत्यंचा जैसे धागा लगे यंत्र से होता है। हमने
अपने बचपन में गांव में ऐसे धुनिए देखे थे। शहरों में ऐसे धुनिए दिखाई नहीं देते। स्थानीय
बाजार में कई तरह की हरी सब्जियां मिल रही हैं। मैंने कुछ संतरे जैसे छोटे आकार के
फल खरीदे पर वे नींबू से भी ज्यादा खट्टे निकले।
तादुबी
के बाद हमारी बस आगे बढती है। पंचम मारम और कारोंग बाजार आता है। अब हम मणिपुर के सेनापति
जिले में पहुंच चुके हैं। पहाड़ों से निकलकर थोड़ी समतल भूमि नजर आती है। मिट्टी के
बने हुए घर और धान के खेत दिखाई दे रहे हैं।
सेनापति
जिले के बाजार रंग बिरंगे हैं। यहां सड़कों पर
आटो रिक्सा भी चलता हुआ दिखाई देता है। टाटा मैजिक जैसी छोटी गाड़ियां भी सेनापति
के बाजार में आ गई हैं। सेनापति के बाद कांगुई और सदर हिल्स का इलाका आता है। एक बार
फिर पहाड़ी रास्ते। मोटबंग बाजार, सेकामी बाजार और लोंगला फारेस्ट
का इलाके से होते हुए बस सरपट भागी जा रही है।
सड़क के साथ एक छोटी सी नदी भी चहलकदमी
करती हुई चल रही है। और लो हम पहुंच गए मणिपुर की राजधानी इंफाल। बस स्टैंड तक पहुंचने
से पहले मणिपुर विधानसभा और मणिपुर हाईकोर्ट के भवन दिखाई दे जाते हैं। एनएसटी की बस एक
जगह जाकर विराम लेती है। ये कोई बस स्टैंड नहीं बल्कि एनएसटी का आखिरी पड़ाव है।
इंफाल शहर की एक सुबह शांत सड़क। |
पूर्वोत्तर में मणिपुर एक
हिंदू बहुल आबादी वाला राज्य है। मणिपुर 15 अक्तूबर 1949
भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना जबकि 21 जनवरी 1972
को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। 2011की जनगणना
के मुताबिक आबादी 27 लाख से ज्यादा है। राज्य में नौ जिले
हैं। राज्य में दो लोकसभा की सीटें हैं।
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विद्युत प्रकाश मौर्य ( MANIPUR-1)
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