मणिपुर की सीमा पार करने के बाद हमारी टैक्सी जिरीबाम से सरपट
असम के सिलचर शहर की ओर भाग रही थी। इंफाल शहर से जिरीबाम तक दस घंटे लगातार
टैक्सी का सफर करके शरीर के हर अंग पर थकान का असर था। वैसे तो जिरीबाम से सिलचर की दूरी
50 किलोमीटर है। नेशनल हाईवे की हालत काफी अच्छी थी। शाम के सात बजने वाले थे। रात
गहरा गई थी। मैं सोच रहा था कब सिलचर आ जाए और होटल में पहुंच कर आराम करूं।
आधा रास्ता तय करने पर फुलोरटाल नामक कस्बा आया।
एक छोटा कस्बा जहां कुछ बैंक की शाखाएं हैं पर रहने के लिए कोई होटल नहीं। कस्बे
को पार करके जैसे ही टैक्सी आगे की ओर बढ़ी। सैकड़ो लोगों ने गाड़ी को रोक दिया।
उन्होंने सावधान करते हुए कहा आगे रास्ता बंद है।
पता चला कि फुलोरटाल के आगे
बराक नदी के पुल पर अंडरग्राउंड संगठनों ने बम लगा दिया है। पुलिस ने पुल पर
आवाजाही बंद कर दी है। बम डिस्पोजल स्कावएड पुल पर जांच में जुटा है। धीरे धीरे गाड़ियों
की लंबी लाइन लग गई। सैकड़ो स्थानीय लोग सड़क पर चहलकदमी कर रहे थे। मेरे मन में
घबराहट समा गई। बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर मुस्तैद थी। नागालैंड और मणिपुर
में शाम सात बजे पहले लोगों को अपने अपने घरों मे दुबक जाते हुए देखा था। यहां हम
सड़क पर थे। हमारी टैक्सी में दस स्थानीय लोग भी थे जिन्हें भी सिलचर पहुंचना था।
लोगों ने बताया सड़क रात भर भी बंद रह सकती है। हमने पता लगाया कि फुलोरटाल में
रहने के लिए कोई होटल भी नहीं है। अब क्या विकल्प था हमारे सामने ।
सिलचर शहर का एक चौराहा। |
सहयात्रियों से काफी जद्दोजहद के बाद तय हुआ कि लंबे रास्ते से चलकर ही पहुंचा जाए। टैक्सीवाले ने कहा सबको 100 रुपये अतिरिक्त देना होगा। कई लोग यह अतिरिक्त राशि खर्च करने को तैयार नहीं थे। काफी समझाने बुझाने के बाद सब लोग एक निर्णय पर पहुंचे। आखिर हमलोग नए रास्ते से चल पड़े। फुलोरटाल बाजार पहुंचकर टैक्सी वाला आगे के सफर के लिए पंप पर डीजल लिए पंप पर डीजल भरवाने चला था। तभी किसी ने जानकारी दी कि रास्ता खुल गया है। इसके बाद हम सबने राहत महसूस की।
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सिलचर शहर में क्लब रोड पर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा |
और रास्ता खुल गया - टैक्सी फिर से अपने पुराने रास्ते पर वापस
मुड़ी। बम की खबर के बीच हम एक घंटे से ज्यादा फुलोरटाल में फंसे रहे। स्थानीय
लोगों ने बताया कि वैसे तो इस इलाके में बम धमाके नहीं होते लेकिन जब मिजोरम और
मणिपुर की तरफ ज्यादा गाड़ियां चलने लगती हैं तो असम के अंडरग्राउंड संगठन कई बार
खुराफात में जुट जाते हैं। एक बार फिर टैक्सी अपने रफ्तार में थी। आधे घंटे बाद हम
सिलचर शहर की सीमा में थे। सभी लोग अब राहत महसूस कर रहे थे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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