अब सुबह हो गई है। अगरतला लमडिंग एक्सप्रेस बराकघाट की मार्ग पर हौले होले चलती जा रही है। थोड़ी और बातें बराक घाटी रेल मार्ग के बारे में। बराक घाटी रेलमार्ग सिलचर और
त्रिपुरा जैसे इलाकों को शेष भारत से जोड़ता है। बराक घाटी का इलाका असम का पहाड़ी
इलाका है। लमडिंग से बदरपुर के बीच रेलवे लाइन को बराक घाटी का क्षेत्र माना जाता
है। लमडिंग से बदरपुर का मार्ग 183
किलोमीटर का है।
इस मीटर गेज रेलमार्ग का
निर्माण अंग्रेजी राज में हुआ था। इस पहाड़ी क्षेत्र में रेल की पटरियां बिछाना
बड़ा ही चुनौतीपूर्ण कार्य था। अगर हम दुर्गम क्षेत्र में रेल लाइन बिछाने की बात
करें तो स्वतंत्र भारत में कोंकण रेल को छोड़कर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ है।
अगर बराक घाटी में अंग्रेजों ने रेलवे लाइन नहीं बिछाई होती तो शायद मिजोरम,
त्रिपुरा और असम के कई हिस्सों में पहुंचना और भी मुश्किल होता।
लमडिंग से बदरपुर रेलमार्ग में कुल 37 सुरंगे हैं। इस मार्ग
पर रेलगाड़ियां औसतन 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से
दौड़ती हैं लेकिन रेलमार्ग का सामरिक महत्व बहुत है।

अब लमडिंग –
करीमगंज- बदरपुर- कुमारघाट-अगरतला मार्ग को ब्राडगेज में बदलने का
काम तेजी से जारी है। पर असम क्षेत्र में सुरक्षा की समस्या के कारण काम में देरी
हुई है। लेकिन आने वाले कुछ सालों में उम्मीद है इस मार्ग पर बड़ी लाइन की ट्रेन
दौड़ने लगेगी।
हाफलौंग असम का एकमात्र हिल स्टेशन- बराक घाटी का बड़ा इलाका असम का डिमा हसाओ जिले में आता है। जिले का
मुख्यालय हाफलौंग है। आपको पता है हाफलौंग असम का एकमात्र हिल स्टेशन है। हाफलौंग छोटा सा
रेलवे स्टेशन भी है। स्टेशन पर समिष और निरामिष भोजनालय हैं। बराक घाटी के बाकी
स्टेशन और भी छोटे-छोटे हैं जहां पर ढंग का खाने पीने को कुछ मिलना भी मुश्किल है।
डबल इंजन से चलती है रेल- बराक घाटी मीटर गेज रेल मार्ग पर
डीजल रेल कारखाना वाराणसी का बना डीजल इंजन वाईडीएम-4 रेलगाड़ियों को खींचता है। हारांगजाओ से जतिंगा के बीच का रास्ता इतना
मुश्किल है कि रेलगाड़ियों में डबल इंजन लगाना पड़ता है। एक आगे से तो एक पीछे से।
इस रेल मार्ग पर बराक, जतिंगा और दयांग जैसी छोटी नदियां भी
आती हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
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