
इतिहास
की अंगनाई में झांकना हो तो पहुंचे। नालंदा के खंडहर। अब अगर आप राजगीर पहुंचे और
तांगे के सफर का मजा नहीं लिया तो क्या बात है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
भी यहां आने पर तांगे में जरुर सफर करते हैं। नालंदा के खंडहरों में हालांकि अब
सिर्फ अवशेष बचे हैं। लेकिन ये कहावत की खंडहर बताते हैं कि इमारत कितनी बुलंदर
रही होगी , शायद यहीं से प्रेरणा लेकर बनी होगी। नालंदा के खंडहरों को देखते हुए लोग
अपने अतीत को याद करते हैं। बिंबिसार अजातशत्रु को याद करते हैं।
दिलचस्प
बात है कि देवानंद की लोकप्रिय फिल्म जॉनी मेरा नाम के एक सुपरहिट गाने की शूटिंग
इसी नालंदा के खंडहर में हुई थी। कुछ याद आया नहीं तो हम याद दिलाते हैं। देवानंद
और हेमा मालिनी के साथ के उस गीत को याद करें और रुमानी हो जाएं।
ओ मेरे राजा वादा तो निभाया...राजगीर के कई लोगों को इस गाने की शूटिंग की याद है जब 70 के दशक में फिल्म की पूरी यूनिट यहां कई दिनों तक रुकी थी। देव साहब भी राजगीर के सौंदर्य से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने न सिर्फ नालंदा के खंडहर बल्कि विश्व शांति स्तूप की ओर जाते रोपवे ( रज्जू मार्ग) पर भी गाने के आखिरी दृश्य फिल्माए। लेकिन बाद में बड़े निर्माताओं की नजर राजगीर पर नहीं पड़ी।
ओ मेरे राजा वादा तो निभाया...राजगीर के कई लोगों को इस गाने की शूटिंग की याद है जब 70 के दशक में फिल्म की पूरी यूनिट यहां कई दिनों तक रुकी थी। देव साहब भी राजगीर के सौंदर्य से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने न सिर्फ नालंदा के खंडहर बल्कि विश्व शांति स्तूप की ओर जाते रोपवे ( रज्जू मार्ग) पर भी गाने के आखिरी दृश्य फिल्माए। लेकिन बाद में बड़े निर्माताओं की नजर राजगीर पर नहीं पड़ी।

पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ईस्वी के आसपास हुई थी. नालंदा विश्वविद्यालय में उसके उत्कर्ष के दिनों में कई अध्ययन केन्द्र, मठ और समृद्ध पुस्तकालय थे जिसमें सुदूर स्थानों से विभिन्न विषयों की पढ़ायी करने के लिए छात्र आया करते थे। यह प्राचीन विश्वविद्यालय 12वीं शताब्दी में उस समय बंद हो गया जब बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में तुर्क सेना ने वर्ष 1193 में इसमें तोड़फोड़ और लूटपाट की और साथ ही इसमें आग लगा दी। गया के महाबोधि मंदिर के बाद यह बिहार में दूसरा विश्व विरासत स्थल है साथ ही यह देश का 33वां विश्व विरासत स्थल है।
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नालंदा के खंडहर में देवानंद और हेमा ( फिल्म- जॉनी मेरा नाम) |
राजगीर
के चप्पे चप्पे में इतना सौन्दर्य है कि यहां बहुत सी फिल्मों की शूटिंग के लिए
बढ़ावा दिया जा सकता है। बल्कि यहां एक फिल्म सिटी की स्थापना की जा सकती है। काश
बिहार को भी कोई रामोजीराव मिलता और उसकी नजर राजगीर के सौंदर्य पर पड़ती। हम सारी
उम्मीदें सरकार से ही क्यों पालते हैं। हांलाकि सरकार नालंदा के पुराने गौरव की
स्थापना के लिए प्रयासरत है। नालंदा में बनने वाली अंतराष्ट्रीय यूनीवर्सिटी से
नालंदा एक बार फिर शिक्षा का बड़ा केंद्र बनेगा। काशी की तरह यहां से एक बार फिर
ज्ञान की रोशनी दूर तक जाएगी ऐसी उम्मीद है।
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नालंदा के खंडहर में हेमामालिनी। ( फिल्म - जानी मेरा नाम ) |
- - विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
( WORLD
HERITAGE SITE, UNESCO, BIHAR )