
कुहरे के बीच मुश्किल भरा रहा सफर - तीन दिनों के सफर के बाद हमारी वापसी भी धुंध के कारण मुश्किलों भरी रही। रात को दस बजे हमलोग मोगा शहर पहुंचे। मोगा से जालंधर के लिए चले पर शहर के बाहर आए चौराहे पर हाईवे पर रास्ता नहीं सूझा। ड्राइवर भी कुहरे में घबरा गया था। हमें कुहरे में यह नहीं पता चल पा रहा था कि कौन सा रास्ता जालंधर जा रहा है। हमें लगा कि घने कुहरे में गलत रास्ता चुन लिया तो जालंधर की जगह कहीं और पहुंच सकते हैं। आपस में चर्चा के बाद हमने वापस लौट कर मोगा शहर में ही रात्रि विश्राम का फैसला लिया।
मोगा शहर में रात्रि विश्राम- फिर मोगा पहुंचकर किसी पीसीओ से अमर उजाला के प्रभारी सत्येन ओझा को फोन किया गया। उनके इंतजाम के बाद हमें मोगा में ही एक होटल में रुकना पड़ा। रात को हमने अपने समाचार संपादक श्री शिव कुमार विवेक जी फोन किया और अपनी समस्या बताई। उन्हें बताया कि कुहरे के कारण हम किस तरह फंस गए हैं रास्ते में। अब हम एक दिन बाद वापस जालंधर दफ्तर पहुंच सकेंगे।
इस यात्रा के लिए हमलोग अपने पंजाब के संपादक श्री रामेश्वर पांडे और अमर उजाला के मालिकों में से एक अजय अग्रवाल का खास तौर पर धन्यवाद देना चाहेंगे। उन्होेंने पंजाब को करीब से समझने के लिए हमें इस यात्रा पर दफ्तर के खर्च पर भेजा था। इस यात्रा में सर्वश्री अजय शुक्ला, विश्वजीत भट्टाचार्य, धर्मेंद्र प्रताप सिंह और नवीन श्रीवास्तव सहयात्री थे। ( यात्रा काल - जनवरी 2000)
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( यात्रा मार्ग - अबोहर- मलोट- मुक्तसर- कोटकपूरा -मोगा- शाहकोट- नकोदर-जालंधर ) (ORANGE, KINNOW, MUKTSAR, FAJILLKA, FARIDKOT, ABOHAR, KOTKAPURA, PUNJAB )
( यात्रा मार्ग - अबोहर- मलोट- मुक्तसर- कोटकपूरा -मोगा- शाहकोट- नकोदर-जालंधर ) (ORANGE, KINNOW, MUKTSAR, FAJILLKA, FARIDKOT, ABOHAR, KOTKAPURA, PUNJAB )
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