मंदिर
परिसर में काठ यानी लकड़ी की मूर्तियां बनी हैं। ये मूर्तियां काम कला के अलग-अलग
आसन प्रदर्शित कर रही हैं। ऐसी मूर्तियों के बारे में आपने खजुराहो और अजंता, एलोरा में सुनी होंगी, पर बिहार में अपनी तरह का ये अनूठा मंदिर है, जहां मूर्तियों के माध्यम से यौन शिक्षा के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई है।
मंदिर का निर्माण नेपाल के पैगोडा शैली में हुआ है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में हुआ। इस मंदिर को नेपाली सेना के कमांडर मातबर सिंह थापा ने बनवाया। इसलिए इसे नेपाली छावनी मंदिर भी कहते हैं। नेपाली मंदिर मूल रूप से भोलेनाथ यानी शिव का मंदिर है। मंदिर की खास बात यह है कि इसके गर्भ गृह में चारों तरफ से प्रवेश द्वार बने हैं। आम तौर पर शिव मंदिरों में पश्चिम की तरफ से प्रवेश द्वार नहीं होता, पर यहां पर पश्चिम से भी द्वार बना है।
मंदिर का निर्माण नेपाल के पैगोडा शैली में हुआ है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में हुआ। इस मंदिर को नेपाली सेना के कमांडर मातबर सिंह थापा ने बनवाया। इसलिए इसे नेपाली छावनी मंदिर भी कहते हैं। नेपाली मंदिर मूल रूप से भोलेनाथ यानी शिव का मंदिर है। मंदिर की खास बात यह है कि इसके गर्भ गृह में चारों तरफ से प्रवेश द्वार बने हैं। आम तौर पर शिव मंदिरों में पश्चिम की तरफ से प्रवेश द्वार नहीं होता, पर यहां पर पश्चिम से भी द्वार बना है।
गंगा
और गंडक नदी के संगम पर बना ये मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर
के निर्माण में लकड़ी का प्रयोग बड़ी मात्रा में हुआ है। मुख्य मंदिर के बाहर
गुंबद के नीचे लकड़ी के शहतीर लगे हैं। इन शहतीरों पर उकेरी गई हैं अलग अलग
भंगिमाओं में मूर्तियां। मुख्य मंदिर के चारों तरफ चौबारे बने हैं।
कला साहित्य के पारखी लोग नेपाली मंदिर को देखने दूर दूर से आते हैं। लेकिन हाजीपुर के ज्यादातर लोग इस महान विरासत से अनजान है। मंदिर में पूजा पाठ को लेकर लोग ज्यादा जागरूक नहीं दिखाई देते। हालांकि नेपाली मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल है, लेकिन मंदिर के आसपास अब काफी निर्माण हो चुका है।
इन दरकती दीवारों से काठ के बने नक्काशीदार चौखट खराब हो रहे हैं। इन चौखटों में भी देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। पर संरक्षण के अभाव में हमारी यह अनमोल विरासत संकट में है।
कला साहित्य के पारखी लोग नेपाली मंदिर को देखने दूर दूर से आते हैं। लेकिन हाजीपुर के ज्यादातर लोग इस महान विरासत से अनजान है। मंदिर में पूजा पाठ को लेकर लोग ज्यादा जागरूक नहीं दिखाई देते। हालांकि नेपाली मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल है, लेकिन मंदिर के आसपास अब काफी निर्माण हो चुका है।
संकट में है नेपाली मंदिर - हाजीपुर शहर का ये ऐतिहासिक नेपाली मंदिर संकट में है। पर पटना
शहर से महज 20 किलोमीटर आगे इस सुंदर मंदिर के संरक्षण की सुध न तो स्थानीय लोगों
को है न ही सरकार को। बिहार की एक अद्भुत विरासत का धीरे धीरे क्षरण हो रहा है। कलात्मक
मूर्तियां काठ की होने के कारण विशेष संरक्षण की दरकार रखती हैं। लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।
इसकी दीवारें दरक रही हैं। चार दरवाजों में से तीन दरवाजे के आसपास की ईंटे इस तरह दरक रही हैं कि लगता है कि मंदिर कभी भी ध्वस्त हो जाएगा। इसलिए इसकी अविलंब मरम्मत की आवश्यकता है। इस पुरातत्व विभाग को सुध लेने की जरूरत है।
इन दरकती दीवारों से काठ के बने नक्काशीदार चौखट खराब हो रहे हैं। इन चौखटों में भी देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। पर संरक्षण के अभाव में हमारी यह अनमोल विरासत संकट में है।
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