महाबलेश्वर में एक प्वाइंट से
दूसरे प्वाइंट पर जा रही टूरिस्ट बस को
देख अचानक सड़क के किनारे खड़े एक बुजुर्ग ने सीटी बजाई। ड्राईवर ने बस रोक दी। बस
के कंडक्टर कम गाइड ने बड़े सम्मान से उस बुजुर्ग को बस में बिठा लिया। उस बुजुर्ग
ने बस के सभी सैलानियों को मुस्कुराते हुए देखा और एक बार फिर जोर से सिटी बजाई।
तब हमारी उस बुजुर्ग के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ी।
मेंहदी रंगी हुई लंबी दाढ़ी।
सिर पर नौजवानों जैसी टोपी। हल्की सी जैकेट पहने फकीरा पूरे उत्साह में नजर आते
हैं। हमारी बस जब केट्स प्वाइंट पर रूकी
तो हमने वहां पर फकीरा गाइड से थोड़ी सी बातचीत की। उनकी उम्र 80
को पार हो चुकी है। किसी जमाने में वे महाबलेश्वर के लोकप्रिय गाइड हुआ करते थे।
उम्र बढ़ती गई एक दिन रिटायर होना पड़ा। वैसे तो अब गाइड का काम छोड़ चुके हैं।
लेकिन उन्हें महाबलेश्वर के नजारे इतने प्रिय हैं कि रोज वे घर से निकलते हैं।
अस्सी
की उम्र में नजारों से मोह नहीं छूटा
वे टूरिस्ट बसों में बैठते हैं
और दिन भर महाबलेश्वर के तमाम प्वाइंट पर घूमते हैं। अब वे सैलानियों को गाइड नहीं
करते पर एक खास अंदाज में सिटी बजाते हैं। दिन भर घूमघाम कर शाम को लौट जाते हैं।
दरअसल जीवन के 80 वसंत देखने के बाद भी महाबलेश्वर के प्राकृतिक नजारों से उनका
मोह नहीं छूटा है। इसलिए फकीरा घर में नहीं बैठ पाते। वे हर रोज निकल कर आ जाते
है। उन्हीं नजारों के बीच।
हमारी उस बुजुर्ग के बारे में थोड़ा और जानने की इच्छा हुई। फकीरा गाइड के बारे में हमारे
बस के कंडक्टर ने बताया कि लंबे समय तक महाराष्ट्र सरकार में नौकरी करने के बाद गाइड
का काम शुरू किया था। जब गाइड का काम छोड़ दिया तो भी अपनी दिनचर्या नहीं छोड़ी।
सभी बस वाले उनका सम्मान करते हैं और अपनी बसों में उन्हे सम्मान से बिठाते हैं।
दशकों से सैलानियों को कुदरत के नजारों के बारे में बताते बताते फकीरा गाइड आज अपने आप में कहानी बन चुके हैं। पर अस्सी पार होने पर उनके अंदर उत्कट जीजिविषा बरकरार है। यही उन्हें हर रोज खींच कर ले आती है। कभी आर्थर सीट, कभी विल्सन प्वाइंट। जिंदगी क्या है। कुदरत से प्यार करना और उसकी बनाई कयानात को करीब से महसूस करना। यही तो है। यही तो फकीरा गाइड करते आ रहे हैं सालों से।
दशकों से सैलानियों को कुदरत के नजारों के बारे में बताते बताते फकीरा गाइड आज अपने आप में कहानी बन चुके हैं। पर अस्सी पार होने पर उनके अंदर उत्कट जीजिविषा बरकरार है। यही उन्हें हर रोज खींच कर ले आती है। कभी आर्थर सीट, कभी विल्सन प्वाइंट। जिंदगी क्या है। कुदरत से प्यार करना और उसकी बनाई कयानात को करीब से महसूस करना। यही तो है। यही तो फकीरा गाइड करते आ रहे हैं सालों से।
फकीरा सैलानियों से बातें करके खुश होते हैं। ज्यादा खुश होते हैं तो सिटी बजाते
हैं। किसी जमाने में महाबलेश्वर आने
वाले सैलानियों के बीच फकीरा का नाम लोकप्रिय था। वे महाबलेश्वर के तमाम प्वाइंट
के बारे में सैलानियों जानकारी हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में तमाम रोचक कथाओं को
जोड़कर दिया करते थे। उनकी आवाज के साथ इन नजारों को देखने का मजा और भी बढ़ जाता
था।
आपको गाइड फिल्म की राजू गाइड
की तो याद होगी। वे उदयपुर शहर को अपने नजरिए से लोगों को दिखाते थे तो फकीरा
महाबलेश्वर शहर को। आप तमाम जगहों पर घूमने जाते हैं। पर उस जगह के इतिहास के बारे
में आपको कुछ खास पता न हो तो क्या घूमना। पर अगर आपके साथ कोई हो जो सदियों की
कहानियों को अपने शब्दों की चासनी में लिपट कर परोस दे तो आपका घूमने का मजा बढ़
जाता है। सालों तक यही तो करते आए थे फकीरा गाइड। उनकी झोली में जो कहानियां हैं
वह किसी किताब में नहीं लिखी गईं। उन्होंने अपने जीवन में लगभग हर नामी गिरामी
फिल्म स्टार को महाबलेश्वर में आकर अपनी फिल्म की शूटिंग करते हुए देखा है। तो फकीरा भाई - थका कब था जमाना तुम्हे सुनते सुनते. तुमही चुप हो गए दास्तां कहते कहते। तो
जिंदादिल फकीरा गाइड को हमारा सलाम।
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( MAHABALESHWAR, FAKIRA GUIDE , TOURIST POINTS )
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