लखनऊ
शहर का दिल अमीनाबाद और इसके ठीक बीच में स्थित ऐतिहासिक झंडेवाला पार्क। पार्क
में शहीद गुलाब सिंह लोधी की की झंडा लिए विशालकाय प्रतिमा लगी है लेकिन इसके
आसपास गंदगी का आलम है।
पार्क में हरियाली का नामोनिशान नहीं है। दरवाजे के आसापास गंदगी का आलम है। तमाम ऐतिहासिक सभाओं का साक्षी पार्क नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है।
अगर इस पार्क के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए तो अमीनाबाद में शापिंग करने आने वालों के लिए थोड़ा वक्त गुजारने के लिए और भी अच्छी जगह हो सकती है।लखनऊ को तहजीब, नजाकत और नफासत के लिए जाना जाता है। इसे बागों और स्मारकों का शहर भी कहा जाता है। लेकिन झंडेवाला पार्क अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। उसे सरकार से भी शिकायत है और आसपास के लोगों से भी। लखनऊ शहर में अंबडेकर पार्क जैसे नए स्मारक बने हैं पर जितना धन उन बड़े पार्कों की ओर बहा है उसका थोड़ा सा हिस्सा इस पार्क की ओर आया होता तो हालात सुधर सकते हैं।
पार्क में हरियाली का नामोनिशान नहीं है। दरवाजे के आसापास गंदगी का आलम है। तमाम ऐतिहासिक सभाओं का साक्षी पार्क नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है।
अगर इस पार्क के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए तो अमीनाबाद में शापिंग करने आने वालों के लिए थोड़ा वक्त गुजारने के लिए और भी अच्छी जगह हो सकती है।लखनऊ को तहजीब, नजाकत और नफासत के लिए जाना जाता है। इसे बागों और स्मारकों का शहर भी कहा जाता है। लेकिन झंडेवाला पार्क अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। उसे सरकार से भी शिकायत है और आसपास के लोगों से भी। लखनऊ शहर में अंबडेकर पार्क जैसे नए स्मारक बने हैं पर जितना धन उन बड़े पार्कों की ओर बहा है उसका थोड़ा सा हिस्सा इस पार्क की ओर आया होता तो हालात सुधर सकते हैं।
और
शहीद हो गए गुलाब सिंह लोधी-
अगस्त
1933 को क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी भी उस
जुलूस में शामिल हुए, जो पार्क में झंडा फहराना चाहते थे।
जिस समय झंडारोहण कार्यक्रम होने जा रहा था उस समय अंग्रेजी सैनिकों ने पार्क को
चारों तरफ से घेर लिया। लेकिन आज़ादी के मतवाले गुलाब सिंह लोधी ने सैनिकों से बिना
डरे पार्क में घुस गए और एक पेड़ पर चढ़कर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। इसके बाद
उन्होंने नारा लगाया महात्मा गांधी की जय। तिरंगा झंडा अमर रहे। उसी समय एक सैनिक
ने लोधी को गोलियों से भून दिया और वह शहीद हो गए। उन्नाव जिले के फतेहपुर चौरासी
क्षेत्र के ग्राम चंद्रिका खेड़ा के युवक गुलाब सिंह लोधी साहसी युवक थे। उनका
जन्म 1903 में राम रतन सिंह लोधी के घर में हुआ
था।
लखनऊ
के अमीनाबाद स्थित अमीरुद्दौला पार्क जिसे अब झंडे वाला पार्क के नाम से जानते हैं। दरअसल जनवरी 1928 में क्रांतिकारियों ने पहली बार
राष्ट्रीय ध्वज अमीनुद्दौला पार्क में ही फहराकर अंग्रेजी हुकूमत को ललकारा था। उसी
दिन से यह अमीनुद्दौला पार्क झंडे वाला पार्क के नाम से जाना जाने लगा। अवध के
चतुर्थ बादशाह अमजद अली शाह के समय में उनके वजीर इमदाद हुसैन खां अमीनुद्दौला को
पार्क वाला क्षेत्र भी मिला था, तब
इसे इमदाद बाग कहा जाता था।

चिकन के कपड़ों का विशाल बाजार है अमीनाबाद
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लखनऊ की चिकेनकारी का एक नमूना। |
अगर आप लखनऊ जाएं तो अमीनाबाद से खरीददारी कर सकते हैं। चिकन के कपड़े और तैयार सूट, कुरता आदि महिलाएं बच्चें और पुरुषों हर किसी के लिए आते हैं।देश में सबसे सस्ता चिकन का कपड़े आप यहां से खरीद सकते हैं।झंडे वाला पार्क के एक और बड़े बड़े ज्वेलर्स की दुकानें हैं तो दूसरी और अमीनाबाद का प्रसिद्ध बुक मार्केट तो एक ओर कपड़ों का घना बाजार। यहां मोहन मार्केट में और उसके आसपास लखनवी चिकनकारी की तमाम दुकाने हैं।

- ------ विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
) (LUCKNOW, JHANDEWALA PARK, AMINABAD, MOHAN MARKET, NAJIRABAD, KAISHARBAG CIRCLE, LAKHNAWI CHIKEN CLOTH, GULAB SINGH LODHI, UNNAO, FATEHPUR CHARASI ) )
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