मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर
उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर महाकाल का मंदिर स्थित है। बारह ज्योतिर्लिंग में
तीसरे स्थान पर आते हैं महाकाल। देश भर से लोग महाकाल के दर्शन
के लिए आते हैं। दक्षिणामुखी होने के कारण महाकाल की पूजा को बड़ा फलदायी माना जाता है।
देश के सभी बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल की प्रतिमा ही दक्षिणमुखी है। राजनेता, फिल्मी सितारे और उद्योगपति सभी महाकाल की कृपा चाहते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में स्नान करने के बाद महाकाल का पूजन करते हैं। कहा जाता है कि जिस पर महाकाल की कृपा हो उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता।
देश के सभी बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल की प्रतिमा ही दक्षिणमुखी है। राजनेता, फिल्मी सितारे और उद्योगपति सभी महाकाल की कृपा चाहते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में स्नान करने के बाद महाकाल का पूजन करते हैं। कहा जाता है कि जिस पर महाकाल की कृपा हो उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता।
महाकाल के दर्शन के बाद अनादि। |
इस आरती में शामिल होने के लिए एक दिन पहले टोकन
लेना पड़ता है। इस दौरान शिवलिंग का अभिषेक चिता से लाए भस्म से किया जाता है।
शिवपुराण के मुताबिक भस्म यानी राख सृष्टि का सार है। एक दिन सबकी परिणति भस्म में हो जानी है।
हुंकार के साथ प्रकट हुए थे शिव - कहा जाता है
भगवान शिव यहां महा मदांध असुर दूषण के विनाश के लिए हुंकार करते हुए प्रकट हुए
थे। शिव ने महज एक हुंकार में अत्याचारी दूषण को इस दुनिया से विदा कर दिया और
अपने भक्तों की रक्षा की। साथ ही शिव ने वर दिया कि संसार के कल्याण के लिए यहां
ज्योतिर्लिंग के रुप में वास करेंगे। भगवान शिव यहां भयंकर हुंकार के साथ प्रकट
हुए थे इसलिए उनका नाम महाकाल हो गया।
महाकाल का मंदिर पांच मंजिला और अति विशाल है। सबसे नीचे के मंजिल के
भूभाग में जो पृथ्वी की सतह से भी काफी नीचे है महाकाल विराजते हैं। यानी मंदिर के
शिव के दर्शन के लिए आपको सीढ़ियां चढ़ने के बजाय उतरनी पड़ती है। कहा जाता है शिव
को मंगलकारी अवंतिका नगरी (उज्जैन) काफी प्रिय है। महाकाल की महिमा का गान कवि कालिदास समेत संस्कृत के कई ग्रंथों में किया गया है।
जो लोग महाकाल का दर्शन
करते हैं उनका दुख दूर होता है। शिव पुराण के मुताबिक महाकाल मंदिर का निर्माण
श्रीकृष्ण के पालनहार बाबा नंद के आठ पीढ़ी पहले द्वापर युग में हुआ था।
11वीं सदी का है मंदिर
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार महाकाल के मंदिर का निर्माण 11वीं सदी के अंत में हुआ। 1235 ई. में इल्तुतमिश ने इस मंदिर पर हमला कर इसे काफी हद तक नष्ट कर दिया था। बाद में अलग अलग काल खंड में शासकों ने इस मंदिर का निर्माण और सौंदर्यीकरण कराया। महाकाल का मंदिर तीन भागों में है। सबसे नीचे महाकाल का मंदिर है। उसके ऊपर ओंकारेश्वर का मंदिर है। मंदिर के तीसरे तल पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। मंदिर की कुल ऊंचाई 28.71 मीटर है।
महाकवि कालिदास ने अपने ग्रंथ मेघदूत में महाकाल के मंदिर की चर्चा अत्यंत भावविभोर होकर की है। महाकाल को उज्जैन का अधिपति और आदि देव माना जाता है।
मंदिर में दर्शन का समय - श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए महाकाल का मंदिर सुबह 4 बजे से रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है। हर सोमवार और महाशिवरात्रि के दिनों में यहां भारी भीड़ उमड़ती है। शेष दिनों में भी दर्शन के लिए आप कम से कम तीन घंटे का समय अवश्य रखें। महाकाल के मंदिर में पेड दर्शन की सुविधा भी आरंभ हुई है। 151 रुपये देकर ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार महाकाल के मंदिर का निर्माण 11वीं सदी के अंत में हुआ। 1235 ई. में इल्तुतमिश ने इस मंदिर पर हमला कर इसे काफी हद तक नष्ट कर दिया था। बाद में अलग अलग काल खंड में शासकों ने इस मंदिर का निर्माण और सौंदर्यीकरण कराया। महाकाल का मंदिर तीन भागों में है। सबसे नीचे महाकाल का मंदिर है। उसके ऊपर ओंकारेश्वर का मंदिर है। मंदिर के तीसरे तल पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। मंदिर की कुल ऊंचाई 28.71 मीटर है।

मंदिर में दर्शन का समय - श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए महाकाल का मंदिर सुबह 4 बजे से रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है। हर सोमवार और महाशिवरात्रि के दिनों में यहां भारी भीड़ उमड़ती है। शेष दिनों में भी दर्शन के लिए आप कम से कम तीन घंटे का समय अवश्य रखें। महाकाल के मंदिर में पेड दर्शन की सुविधा भी आरंभ हुई है। 151 रुपये देकर ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है।
साल में एक बार खुलता है ये मंदिर -
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर विराजते हैं श्री नागचंद्रेश्वर महादेव। पर इस मंदिर के पट साल में एक बार सिर्फ रात 12 बजे ही खुलते हैं। वह दिन होता है सावन महीने में नाग पंचमी का। इस दौरान महाकाल मंदिर में त्रिकाल पूजा की जाती है। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत एवं मंदिर प्रशासक श्री नागचंद्रेश्वर में पूजन अर्चन करते हैं। सदियों से इस मंदिर को साल में एक ही दिन खोले जाने की परंपरा चली आ रही है।
आवासीय इंतजाम भी - आप मंदिर की वेबसाइट पर मंदिर की धर्मशाला में कमरे भी बुक करा सकते हैं। वातानुकूलित कमरे का किराया 800 रुपये और समान्य कमरे का किराया 400 रुपये एक दिन के लिए है। महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए लंगर का भी इंतजाम है, उसके लिए भी टोकन लेना पड़ता है। आप महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे हैं तो अपने पास प्रयाप्त समय रखें। समान्य दिनों में यहां दर्शन में कई घंटे लगते हैं। सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ और बढ़ जाती है। शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों से तुलना करें तो सबसे ज्यादा लोग महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- 
आवासीय इंतजाम भी - आप मंदिर की वेबसाइट पर मंदिर की धर्मशाला में कमरे भी बुक करा सकते हैं। वातानुकूलित कमरे का किराया 800 रुपये और समान्य कमरे का किराया 400 रुपये एक दिन के लिए है। महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए लंगर का भी इंतजाम है, उसके लिए भी टोकन लेना पड़ता है। आप महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे हैं तो अपने पास प्रयाप्त समय रखें। समान्य दिनों में यहां दर्शन में कई घंटे लगते हैं। सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ और बढ़ जाती है। शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों से तुलना करें तो सबसे ज्यादा लोग महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
महाकाल की वेबसाइट - http://dic.mp.nic.in/ujjain/mahakal/default.aspx
(JYOTIRLINGAM, TEMPLE, SHIVA, MAHAKAL, UJJAIN )
1. सोमनाथ ( गुजरात)
2. श्री मल्लिकार्जुन स्वामी ( करनूल, आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर ( उज्जैन, मध्य प्रदेश )
4. ओंकारेश्वर (खंडवा, मध्य प्रदेश )
5. केदारनाथ (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड )
6. भीमाशंकर (मंचर, पुणे, महाराष्ट्र)
7. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र)
9. वैद्यनाथ (देवघर, झारखंड)
10. नागेश्वर (द्वारका, गुजरात)
11. रामेश्वरम (रामनाथपुरम, तमिलनाडु)
12. घृष्णेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
godd job
ReplyDeleteधन्यवाद
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