कान्हा नगरी द्वारका
समुद्र के किनारे बसी एक छोटी सी नगरी है। इसकी आबादी 25 हजार के आसपास है।
द्वारका का अपना रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड है। वैसे इस मार्ग पर आखिरी रेलवे
स्टेशन ओखा है। ओखा बंदरगाह और नौ सेना का केंद्र भी है। हमलोग भले ही पोरबंदर से चलकर बस से यहां पहुंचे हैं परआप ओखा या द्वारका जाने
वाली किसी रेल का चयन द्वारका जाने के लिए कर सकते हैं। 
देश के चार धाम में से एक द्वारका गुजरात के जामनगर जिले में आता है। आप जामनगर तक आने वाली ट्रेन से भी जामनगर पहुंचने के बाद द्वारका बस से पहुंच सकते हैं। आप द्वारका में कम से कम दो दिन रुकें तो अच्छा हो। एक दिन का समय द्वारकाधीश के दर्शन के लिए रखें और एक दिन आसपास के मंदिरों के दर्शन के लिए निकालें।
द्वारका दर्शन बस - द्वारका और आसपास के दर्शन के लिए द्वारा दर्शन बस सेवा चलती है। इन बसों के आरंभ होने का केंद्र द्वारकाधीश मंदिर के पास ही भद्रकाली मंदिर है। आधे दिन की बस सेवा सुबह आठ बजे और दोपहर दो बजे से चलती है। इनमें 80 रुपये का टिकट है।
इन बसों में सीट किसी भी ट्रेवल एजेंट से बुक कराई जा सकती हैं। आमतौर पर इन बसों में एक गाइड भी होता है। ये गाइड द्वारका के पंडे ही होते हैं। वे रोचक ढंग से आपको नगर का इतिहास रास्ते में बताते चलते हैं। बस में नहीं जाना चाहते तो टैक्सी बुक करने का भी विकल्प मौजूद है।
कहां ठहरें – वैसे
तो द्वारका में रहने के लिए हर श्रेणी के होटल और धर्मशालाएं मौजूद हैं। खास तौर
पर हाईवे पर कई अच्छे होटल खुल गए हैं। लेकिन द्वारकाधीश मंदिर के पास तीन बत्ती
चौक शहर का मुख्य केंद्र है। तीन बत्ती चौक के पास आपको रहने के लिए अच्छे होटल और
खाने के लिए ढेर सारे विकल्प मिल जाएंगे। तीन बत्ती चौक पर होटल शिव और यमुना
भोजनालय ( आवासीय) में ठहरा जा सकता है। यहां से मंदिर बिल्कुल पास है।
द्वारका में आप चाहें तो अंबानी परिवार द्वारा बनवाए गए कोकिला बेन धीरज धाम में भी ठहर सकते हैं। अगर
समुद्र के किनारे ठहरना चाहते हैं तो भड़केश्वर महादेव के पास सरला बिरला अतिथि
गृह में भी ठहरा जा सकता है। हालांकि मंदिर से दूर हाईवे के होटलों में ठहरने पर आपको मंदिर आने जाने के
लिए हर बार आटो रिक्शा का सहारा लेना पड़ेगा।
कान्हा की नगरी द्वारका में । |
----- विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य में दूरस्थ स्थान होने के कारण, पश्चिमी और पश्चिमी सुंदरकांड मंदिरों के आकर्षण का केंद्र, एक तरफ समुद्र के किनारे और दूसरी तरफ द्वारका शहर द्वारा बसाया गया है। भारत के सबसे पुराने और सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक, जगतमंदिर मंदिर द्वारका, की पुरातात्विक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रहस्य में डूबी हुई है।
ReplyDeleteजानकारी के लिए धन्यवाद
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