इतिहास में
सोमनाथ मंदिर अपने वैभव और ऐश्वर्य के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता था। यह मंदिर कई बार आक्रमणकारियों द्वारा लूटा गया। पर बार बार लूटे जाने के बावजूद इसका वैभव बरकरार रहा।
सोमनाथ मंदिर को जनवरी 1026 में मोहम्मद गजनी ने बुरी तरह लूटा। वह मंदिर की संपत्ति करोड़ों के हीरे जवाहरात लेकर अपने देश गया। लेकिन ये धन उसके काम नहीं आया। रास्ते में ही उसकी मृत्य हो गई। इसके बाद कई बार मंदिर हमले हुए। हर हमले के बाद मंदिर का पुननिर्माण होता रहा। पर इन सबके बीच मंदिर का वैभव बना रहा। सदैव से सोमनाथ देश भर के हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र रहा है।
सोमनाथ मंदिर परिसर में है अहिलेश्वर महादेव का मंदिर - पंद्रहवीं सदी के बाद कई सौ सालों तक सोमनाथ मंदिर भग्नावशेषों के रूप में मौजूद रहा। सोमनाथ मंदिर को एक बार फिर प्रतिष्ठित करने का काम इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने कराया। महारानी अहिल्याबाई ने न सिर्फ सोमनाथ बल्कि देश के कई प्रमुख मंदिरों का कायाकल्प कराया था।
सन 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने सोमनाथ के भग्नावशेष के पास एक सोमनाथ का मंदिर बनवाया। ये मंदिर सोमनाथ के मुख्य मंदिर के बगल में आज भी मौजूद है। जिसमें नियमित पूजा होती है। दो मंजिल वाले इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं। ऊपर अहिलेश्वर महादेव और नीचे गर्भ गृह में मूल सोमनाथ का मंदिर। मंदिर को इस तरह बनवाया गया कि आक्रांत अगर गर्भ गृह पर हमला करें तो भूमिगत में स्थित शिवलिंगम सुरक्षित रहे।
सोमनाथ मंदिर को जनवरी 1026 में मोहम्मद गजनी ने बुरी तरह लूटा। वह मंदिर की संपत्ति करोड़ों के हीरे जवाहरात लेकर अपने देश गया। लेकिन ये धन उसके काम नहीं आया। रास्ते में ही उसकी मृत्य हो गई। इसके बाद कई बार मंदिर हमले हुए। हर हमले के बाद मंदिर का पुननिर्माण होता रहा। पर इन सबके बीच मंदिर का वैभव बना रहा। सदैव से सोमनाथ देश भर के हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र रहा है।
सोमनाथ मंदिर परिसर में है अहिलेश्वर महादेव का मंदिर - पंद्रहवीं सदी के बाद कई सौ सालों तक सोमनाथ मंदिर भग्नावशेषों के रूप में मौजूद रहा। सोमनाथ मंदिर को एक बार फिर प्रतिष्ठित करने का काम इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने कराया। महारानी अहिल्याबाई ने न सिर्फ सोमनाथ बल्कि देश के कई प्रमुख मंदिरों का कायाकल्प कराया था।
सन 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने सोमनाथ के भग्नावशेष के पास एक सोमनाथ का मंदिर बनवाया। ये मंदिर सोमनाथ के मुख्य मंदिर के बगल में आज भी मौजूद है। जिसमें नियमित पूजा होती है। दो मंजिल वाले इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं। ऊपर अहिलेश्वर महादेव और नीचे गर्भ गृह में मूल सोमनाथ का मंदिर। मंदिर को इस तरह बनवाया गया कि आक्रांत अगर गर्भ गृह पर हमला करें तो भूमिगत में स्थित शिवलिंगम सुरक्षित रहे।
वर्तमान
सोमनाथ मंदिर में मंदिर परिसर में भव्य दिग्विजय द्वार बनाया गया है। मंदिर परिसर
में एक नृत्य मंडप भी है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की भव्य चित्रावली वाली
गैलरी बनाई गई है। इसमें सभी ज्योतिर्लिंगों को परिचय भी दिया गया है।
सोमनाथ ट्रस्ट देखता है इंजताम - सोमनाथ मंदिर का पूरा इंतजाम सोमानाथ ट्र्स्ट देखता है। इसलिए मंदिर में पूजा पाठ को लेकर कोई ठगी का आलम नहीं है। मंदिर ट्रस्ट ने सोमनाथ आने वाले भक्तों के रहने के लिए कई आवास बनवाए हैं और भोजनालय भी चलाता है। मंदिर के बगल में स्थित सोमनाथ भोजनालय में 35 रुपये में भोजन की थाली उपलब्ध है।
लीलावती
कांप्लेक्स में भोजन - हाल के
दिनों में सोमनाथ मंदिर के पास लीलावती कांप्लेक्स का निर्माण कराया गया है। यहां
रहने के लिए एसी, नॉन एसी कमरे और खाने के लिए लीलावती
भोजनालय में सुस्वादु भोजन उपलब्ध है। यह कांप्लेक्स मंदिर के ठीक सामने स्थित है। यहां बाहर बैठने के लिए सुंदर बेंच लगी हैं। रात में यहां का वातावरण मनोरम हो जाता है। लीलावती
कांप्लेक्स के भोजनालय में 55 रुपये की शाकाहारी थाली उपलब्ध है। सोमनाथ में रहते
हमने भोजन और नास्ता लीलावती भोजनालय में लिया। थाली में छाछ मिलती है जो गुजराती थाली का अनिवार्य हिस्सा है।
- - माधवी रंजना Email - madhavi.ranjana@gmail.com
महामृत्युंजय
मंत्र
ओम त्रयंबकम
यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव
बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
(JYOTIRLINGAM, TEMPLE, SHIVA,GUJRAT )
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