पंचगनी का नजारा पूरा हो जाने के बाद हमलोग अब वाई के लिए चल पड़े हैं। पंचगनी से वाई के बीच सड़क तेजी से नीचे उतरती है। अचानक हम कई सौ मीटर नीचे आ चुके हैं। चंद्रकांत अपने वादे के मुताबिक हमें वाई के गणेश मंदिर के पास छोड़ देते हैं। मंदिर में आज मेले जैसा माहौल है। आसपास के गांव से काफी लोग आए हुए हैं। वाई का गणेश मंदिर कृष्णा नदी के तट पर बसा हुआ है। नदी के किनारे स्थानीय महिलाएं कपड़े धोती नजर आ रही हैं।
वाई को दक्षिण की काशी कहते हैं। पंचगनी से नौ किलोमीटर पहले है शहर वाई। वाई से सतारा की दूरी 32 किलोमीटर है। यहां कृष्णा नदी के तट पर बना है वाई का गणेश मंदिर। वैसे वाई में कृष्णा नदी पर कुल सात घाट बनाए गए हैं। लेकिन इनमें गणपति आली घाट पर गणेश मंदिर। गणेश मंदिर के अंदर गणेश जी की विशाल प्रतिमा है। मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ जुटती है।
वाई के गणेश मंदिर
का निर्माण श्रीमंत गणपत राव भीखाजी रास्ते ने 1762 में करवाया था। वाई को यहां
पश्चिम की काशी भी कहते हैं। गणेश मंदिर के बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर का भी
निर्माण कराया गया है। इसलिए महाराष्ट्र के लोग इसे दक्षिण की काशी कहते हैं। नदी
किनारे मंदिरों का समूह। इसके साथ लगते घाट और आसपास के नजारे मिलकर यहां अद्भुत
वातावरण का सृजन करते हैं। हमे नदी के तट पर स्थानीय महिलाएं कपड़े धोती भी नजर आती हैं।
गणेश मंदिर के आसपास
कृष्णा नदी पर बड़े सुंदर स्नान घाट और पुल बनाए गए हैं। जब नदी में पानी कम होता
है तब इन घाटों पर दिन भर लोग चहल कदमी करते नजर आते हैं। घाट और पुल काले पत्थरों
से बने हैं। जब बारिश के दिनों में नदी में पानी बढ़ जाता है जब घाट और छोटे पुल
डूब जाते हैं। तब सिर्फ ऊंचे पुल से नदी पार की जा सकती है। गणेश मंदिर में सालों
पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। खास तौर पर गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर में भीड़
बढ़ जाती है।
प्रकाश झा की कई फिल्मों में वाई - वाई के गणेश मंदिर के आसपास का नजारा फिल्मकारों को हमेशा से आकर्षित करता आया है। इस गणेश मंदिर परिसर में प्रकाश झा की सुपर हिट फिल्में गंगाजल और मृत्युदंड जैसी शूटिंग हुई थी। वाई के आसपास समतल पहाड़ और घाटी का नजारा है। इसलिए ये इलाका फिल्मों की शूटिंग के लिए मुफीद है। तो तमाम फिल्मकार अपनी पूरी यूनिट लेकर यहां पहुंच जाते हैं।
इस इलाके में फिल्म ओमकारा, इश्कियां, स्वदेश की शूटिंग हुई है। हाल में फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस की शूटिंग इसी इलाके हुई है। मुंबई से निकट होने के कारण गांव और प्राकृतिक लोकेशन के लिए वाई फिल्मकारों की पसंद है। वैसे छोटा सा शहर वाई जूतों के लिए भी जाना जाता है। यहां लेदर के महंगे जूते बनते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इन जूतों की रेंज दो हजार से छह हजार तक हो सकती है।
- ----- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( (WAI, FILMS, PRAKASH JHA, KASHI, MAHARASTRA, SATARA)
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