हमने साईं बाबा के दर्शन के बाद
नासिक जाने का कार्यक्रम पहले से तय कर रखा था। शिरडी से नासिक की दूरी 90
किलोमीटर
है। थोड़ी पूछताछ के बाद पता चला कि यहां से टैक्सी वाले दिन भर में नासिक व
त्रयंबकेश्वर घूमाने के बाद शिरडी वापस लाने का पैकेज देते हैं। हमने भी ऐसी
टैक्सी बुक की 220 रुपये प्रति
सवारी।हालांकि हमें वापस शिरडी लौटना नहीं था, पर
ये पैकेज सही था। शिरडी नगर पंचायत भवन के टैक्सी स्टैंड के पास से शेयरिंग टैक्सी
बुक की। हमारे साथ कुछ कालेज के छात्र हैं। ड्राईवर महोदय काफी तेज तर्रार हैं।
दोपहर की तेज गर्मी है। पर शिरडी से नासिक का रास्ता काफी अच्छा है। लिहाजा गाड़ी
सड़क पर सरपट भाग रही है। हम डेढ़ घंटे में नासिक शहर की सीमा में थे।
नासिक महाराष्ट्र
का औद्योगिक और व्यापारिक शहर है। नासिक नाम इसलिए क्योंकि यहीं पर वनवास के दौरान
लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक का विच्छेद किया था। रावण की बहन सूर्पनखा ने राम
लक्ष्मण से प्रणय निवेदन किया था। जो राम और लक्ष्मण को पसंद नहीं आया। कटी नाक
लेकर शूर्पनखा ने रावण से जाकर गुहार लगाई। इसके बाद नासिक के ही पंचवटी से रावण
ने सीता का हरण किया। यूं समझे तो शूर्पनखा के कारण ही सारी रामायण हुई।
नासिक जाना जाता है मीठे अंगूर
के लिए। यहां के अंगूर को जीआई प्रमाण पत्र ( ग्लोबल इंडेक्स) मिल चुका है,
महाबलेश्वर
और पंचगनी के स्ट्राबरी की तरह। वहीं नासिक में देश की प्याज की सबसे बड़ी मंडी
है। देश विदेश में प्याज का नासिक सबसे बड़ा प्रेषक है। नासिक शहर के पास ही
लासलगांव में प्याज की बड़ी मंडी है।
आगरा मुंबई हाईवे पर अवस्थित
नासिक शहर नोट छापने वाले टकसाल के लिए जाना जाता है। तो यहां पर हिंदुस्तान
एरोनाटिक्स लिमिटेड, सीएट
टायर, महिंद्रा एंड
महिंद्रा के वाहन, कई
शराब फैक्ट्रियां और भी कई बड़े उद्योग लगे हैं। बड़ी संख्या में श्रमिकों को
रोजगार देने वाला शहर है नासिक।
नासिक रेलवे स्टेशन का नाम
नासिक रोड है। पर यह नासिक शहर के अंदर आ चुका है। गोदावरी नदी के तट पर बसे नासिक
शहर की आबादी 2011 की जनगणना के
मुताबिक 18 लाख 62
हजार
को पार कर चुकी है।
नासिक पहुंच कर मैं अपने ससुर जी स्वर्गीय
बृजनंदन मेहता को याद करना चाहूंगा जो प्याज के बड़े व्यापारी थे। रहने, खाने-पीने और घूमने के शौकीन। वे साल के कुछ
महीने नासिक शहर में गुजारते थे। फिल्म स्टार डैनी से उनकी दोस्ती थी। डैनी का भी
नासिक में व्यापार था। माधवी नासिक पहुंच कर भावुक हो गई। पिताजी की यादें जो
जुड़ी हैं इस शहर के नाम के साथ। पिता बचपन में छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे।
- - विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( ( NASIK, NASHIK, ONION, GRAPE, PANCHWATI, MAHARASTRA )
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