गजानन आश्रम के कमरे में अपना बैग जमा लेने के बाद हमलोग शाम को घूमने के लिए निकल पड़े। जीरो प्वाइंट और शहर के कुछ मंदिर और आश्रम की सैर करने के बाद हमलोग अंत में ओंकारेश्वर मंदिर पहुंच गए। सांध्यकालीन दर्शन के लिए। संयोग से मंदिर में ज्यादा भीड़ नहीं है तो हमें आसानी से दर्शन लाभ प्राप्त हो गए।
मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में खंडवा जिले में स्थित है शिव का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर। यह देश भर में स्थित महादेव शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथे स्थान पर आता है। यह मंदिर अत्यंत सुरम्य वादियों के बीच नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।
ओम आकार का पर्वत - ओंकारेश्वर में नर्मदा और कुबेर नदियों के बीच एक विशाल टापू बन गया है। इसी टापू पर बना है ओंकारेश्वर मंदिर। यह टापू चार किलोमीटर लंबा और दो किलोमीटर चौड़ा है। इस टापू का मान्धाता पर्वत या शिवपुरी भी कहते हैं। यह पर्वत ओम के आकार का है, इसलिए इसे ओंकारेश्वर कहा गया है। यहां नर्मदा नदी के किनारे पक्के घाट बने हुए हैं।
शिव पुराण में ओंकारेश्वर के
दर्शन और उसका महात्मय वर्णित है। ओंकारेश्वर का मंदिर सफेद रंग का है। नदी के तट पर स्थित मंदिर पांच
मंजिला है। मंदिर में मौजूद शिवलिंग गढ़ा नहीं गया है, बल्कि ये प्राकृतिक है। यहां
प्रणव लिंग के दर्शन और अभिषेक का बड़ा महत्व है। मंदिर में शिवलिंग के पास ही
माता पार्वती की भी प्रतिमा है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन। |
ओंकारेश्वर का मुख्य मंदिर ऊंचे
शिखर से युक्त उत्तर भारतीय वास्तुकला में बना हुआ है। मंदिर के निर्माण के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती है। इसे किसने
बनवाया और कब यह अज्ञात ही है। मंदिर का गर्भ गृह मूलतः
पुरानी निर्माण शैली में बने एक छोटे मंदिर के सामान लगता है इसका गुम्बद पत्थर की परतों को जमा कर बनाया गया है। ओंकारेश्वर लिंग मन्दिर के गुंबद के नीचे नहीं है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि मन्दिर के ऊपरी शिखर पर भगवान महाकालेश्वर की मूर्ति लगी है। कुछ लोगों की मान्यता है कि यह पर्वत ही ओंकाररूप है।
ओंकारेश्वर महादेव का मंदिर |
गुरुनानकदेव जी भी आए थे यहां - वहीं, सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी ने भी यहां आए थे। उन्होंने यहां पर ओंकार पर्वत की परिक्रमा की थी। उनकी स्मृति में यहां शिवपुरी में एक गुरुद्वारा भी है।
ओंकार पर्वत की परिक्रमा - ओंकारेश्वर का बड़ा आकर्षण है ओंकार पर्वत की परिक्रमा। ओंकार पर्वत का परिक्रमा मार्ग लगभग 8 किलोमीटर का है। पैदल परिक्रमा में लगभग 4 घंटे लगते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में लोग हैं जो परिक्रमा करते हैं।
मार्ग में 108 मंदिर - इस परिक्रमा मार्ग पर लगभग 108 मंदिर हैं। कई लोग नदी में नाव आरक्षित करके भी परिक्रमा करते हैं। आपके पास भी समय हो तो ओंकार पर्वत की परिक्रमा अवश्य करें। प्रकृति से साहचर्य का पूरा आनंद आएगा। ओंकारेश्वर का मंदिर केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
(OMKARESHWAR, MAMLESHWAR, JYOTIRLINGAM, GURU NANAKDEV, TEMPLE, SHIVA)
1. सोमनाथ ( गुजरात)
2. श्री मल्लिकार्जुन स्वामी ( करनूल, आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर ( उज्जैन, मध्य प्रदेश )
4. ओंकारेश्वर (खंडवा, मध्य प्रदेश )
5. केदारनाथ (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड )
6. भीमाशंकर (मंचर, पुणे, महाराष्ट्र)
7. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र)
9. वैद्यनाथ (देवघर, झारखंड)
10. नागेश्वर (द्वारका, गुजरात)
11. रामेश्वरम (रामनाथपुरम, तमिलनाडु)
12. घृष्णेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
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