

सराय रोहिला स्टेशन भवन भी काफी पुराना है। दरअसल मीटर गेज के जमाने का भवन है जिसमें कोई विस्तार नहीं हुआ है। प्लेटफार्म और फुटओवर ब्रिज टूटे फूटे हैं। प्लेटफार्म पर शेड्स की काफी कमी है। यहां कैंटीन, वेटिंग हॉल के नाम पर भी खानापूर्ति है।
अचरज होता है कि दिल्ली के
बाकी स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास बनाने की कवायद चल रही है। पर सराय रोहिला स्टेशन
पर रेलवे की नजरें इनायत क्यों नहीं हैं। जबकि यहां से रेलवे को बड़ा राजस्व मिलता
है। यहां से गुजरात की कई ट्रेनें, मुंबई
गरीब रथ, जयपुर के लिए डबल डेकर जैसी रेलगाड़ियां रोज खुलती
हैं। पर स्टेशन पर इंतजाम के नाम पर कुछ भी नहीं। सराय
रोहिला किसी जमाने में मीटर गेज का स्टेशन हुआ करता था। पर राजस्थान और गुजरात की
ज्यादातर लाइनें ब्राडगेज हो जाने के बाद अब इस स्टेशन से मीटर गेज खत्म हो चुका है।
और रेलवे केटरिंग का घटिया खाना - अब बात दिल्ली पोरबंदर एक्सप्रेस की। 19264 पोरबंदर एक्सप्रेस सोमवार और गुरुवार को यहां से चलती है। हमारी यात्रा 16 मई गुरुवार के दिन आरंभ हुई। ट्रेन दिल्ली से समय पर यानी सुबह 8.20 बजे चल पड़ी। स्लिपर क्लास में हमें दिन में खूब गर्मी झेलनी पड़ रही है। दिल्ली से अलवर, जयपुर, फुलेरा, किशनगढ़, अजमेर, ब्यावर, मारवाड़ जंक्शन, फलाना होते हुए शाम होने तक हमलोग राजस्थान के आबू रोड स्टेशन पहुंच गए हैं। आबू रोड रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर मिलने वाली रबड़ी की खूब तारीफ सुनी थी। पर खाया तो उसका स्वाद औसत ही निकला। सहयात्रियों ने बताया कि अब क्वालिटी पहले जैसी नहीं रही।
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रात में अहमदाबाद जंक्शन। |
और रेलवे केटरिंग का घटिया खाना - अब बात दिल्ली पोरबंदर एक्सप्रेस की। 19264 पोरबंदर एक्सप्रेस सोमवार और गुरुवार को यहां से चलती है। हमारी यात्रा 16 मई गुरुवार के दिन आरंभ हुई। ट्रेन दिल्ली से समय पर यानी सुबह 8.20 बजे चल पड़ी। स्लिपर क्लास में हमें दिन में खूब गर्मी झेलनी पड़ रही है। दिल्ली से अलवर, जयपुर, फुलेरा, किशनगढ़, अजमेर, ब्यावर, मारवाड़ जंक्शन, फलाना होते हुए शाम होने तक हमलोग राजस्थान के आबू रोड स्टेशन पहुंच गए हैं। आबू रोड रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर मिलने वाली रबड़ी की खूब तारीफ सुनी थी। पर खाया तो उसका स्वाद औसत ही निकला। सहयात्रियों ने बताया कि अब क्वालिटी पहले जैसी नहीं रही।

आबू रोड में रात्रि भोजन के बाद हमलोग सो गए। हमारी ट्रेन गुजरात में प्रवेश कर चुकी है। पालनपुर जंक्शन, मेहसाणा, साबरमती, अहमदाबाद जंक्शन, वीरमगाम, सुरेंद्रनगर जंक्शन जैसे स्टेशन रात में ही गुजर गए। 17 मई की सुबह हुई तो पहला बडा रेलवे स्टेशन आया वांकानेर जंक्शन। वांकानेर मोरबी जिले का एक शहर है। कभी यह एक प्रिंसले एस्टेट हुआ करता था। वांकानेर जंक्शन इसलिए है क्योंकि यहां से एक रेलमार्ग मोरबी की ओर चला जाता है तो दूसरा राजकोट की ओर। हमारी ट्रेन यहां से राजकोट की ओर जाएगी। वांकानेर रेलवे स्टेशन बड़ा खुला-खुला और साफ सुथरा है।
वांकानेर के बाद पोरबंदर एक्स्प्रेस राजकोट जंक्शन पहुंच गई है। राजकोट पहुंच कर हमें सामाजिक कार्यकर्ता राजेश भाटेलिया जी की याद आई। वे हमें कई शिविरों में मिल चुके हैं। यहीं राजकोट के ही रहने वाले हैं। राजकोट गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आता है। आजकल यहां एक क्रिकेट स्टेडियम है जिसमें अंतरराष्ट्रीय मैच भी होते हैं। राजकोट से गुजरते हुए हमारे एक सहयात्री ने वह स्टेडियम दिखाया।
हमने सुबह का नास्ता राजकोट जंक्शन पर ही लिया। यहां ट्रेन का ठहराव 15 मिनट का था। नास्ते में अगर गुजरात में हैं तो भला ढोकला के अलावा और क्या हो सकता है। तो जारी है गुजरात का सफर बने रहिए हमारे साथ।
--- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( यात्रा का मार्ग - दिल्ली- आबू रोड- अहमदाबाद - पोरबंदर - द्वारका - ओखा-भेट द्वारका - सोमनाथ- वेरावल- दीव- वेरावल- अहमदाबाद - गांधीनगर - वडोदरा -मुंबई - पूणे - पंचगनी- महाबलेश्वर- वाई- सतारा- कोपरगांव- शिरडी - नासिक - खंडवा- ओंकारेश्वर -उज्जैन - दिल्ली )
( ( PORBANDAR, RAIL , GANDHI, SARAI ROHILLA, PANTRY CAR FOOD )
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