...यहां से जाने
का दिल नहीं करता...
ओंकारेश्वर में मां नर्मदा के
शीतल निर्मल जल में स्नान का जो सुख है उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मैं
और अनादि घंटों नर्मदा में स्नान करते रहे। ऐसा प्रतीत होता है मानो मां की गोद
में अटखेलियां कर रहे हों। निकलने का दिल ही नहीं करता।
नर्मदा नदी के सुरम्य वादियों
में बसा ओंकारेश्वर का वातावरण इतना सुंदर है कि यहां से आने को दिल नहीं चाहता। पहाड़
की तलहटी में बसे गांव जैसा है ओंकारेश्वर। ओंकारेश्वर
पहुंचने पर हमने पूरा शहर घूमने का तय किया तो हमे मैक्सिमो चालक अमित कुशवाहा (
मोबाइल- 098272-23146 ) मिल
गए। उनके मैक्सिमो में बैठकर हमने पूरा ओंकारेश्वर देखने की कोशिश की। वे सबसे
पहले हमें ले गए जीरो प्वाइंट।
जीरो प्वाइंट से भव्य नजारा - जीरो प्वाइंट से पूरे
ओंकारेश्वर का भव्य नजारा दिखाई देता है। ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर सिंचाई के
लिए डैम बनाया गया है। जीरो प्वाइंट से डैम और थर्मल पावर स्टेशन,
ओंकारेश्वर
मंदिर और शहर का नजारा दिखाई देता है। इसके बाद हम पहुंचे सिद्ध गणेश हनुमान मंदिर,
कुबेर
मंदिर होते हुए नागर घाट।
नागर घाट पर नर्मदा माई में स्नान करने के लिए सुंदर पक्के घाट बने हुए हैं। वैसे ममलेश्वर मंदिर के करीब के घाट पर भी यहां नर्मदा में स्नान किया जा सकता है। नागर घाट के ऊपर भगवान विष्णु का विशाल प्रतिमा है। यहां स्थित अन्नपूर्णा न्यास मंदिर में अखंड ओम नमः शिवाय का जाप चलता रहता है। ये जाप कथावाचक कमल किशोर जी नागर की प्रेरणा से चल रहा है।
ओंकारेश्वर पावर स्टेशन (
नर्मदा हाइड्रोलिक डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड, एनएचडीसी
) के सौजन्य से यहां नर्मदा पर झूले का पुल साल 2004 में बनाया गया है।
ओंकारेश्वर रहने,
खाने
पीने के लिए दूसरे शहरों की तुलना में सस्ती जगह है। यहां आप 10 रुपये में इंस्टेट
फोटो खींचवा सकते हैं। वहीं मंदिर में चढाने के लिए पुष्प गुच्छ महज दो रूपये में
मिल जाता है। नर्मदा में स्नान और ओंकारेश्वर मंदिर में पूजन कर मन को अद्भुत शांति
मिलती है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में साधु गण तपस्या भी करते हैं। जाहिर है
उन्हें यहां आकर काफी शांति मिलती है।
प्रियाश्री भोजनालय का यादगार
भोजन - ओंकारेश्वर
में हमलोग गजानन आश्रम
की कैंटीन में ही नास्ता और भोजन ले रहे थे। पर स्वाद बदलने के लिए एक सहयात्री की
सलाह पर हमने बस
स्टैंड कैंपस में प्रियाश्री भोजनालय में दिन का खाना खाया। महज 50 रुपये में मटर
पनीर, पांच रुपये
में घी चुपड़ी चपाती। सादी चपाती तीन रूपये में। दोपहर के खाने के समय प्रियाश्री
ने हमें आम की खटमीठी अमिया परोसी। उसके स्वाद का कहना ही क्या।
वैसे बस स्टैंड परिसर में और भी
कई भोजनालय हैं। ओंकारेश्वर का बना अचार भी काफी अच्छा होता है। हमारे के एक साथी
तो पांच किलो अचार पैक कराकर ले गए। यहां आप गन्ने का जूस,
लस्सी
और छाछ भी पी सकते हैं।
वैसे तो ओंकारेश्वर में महंगी
शापिंग के लिए कुछ खास नहीं है। लेकिन यह कुछ दिन प्रकृति की गोद में ईश्वर में
आस्था के साथ गुजारने के लिए बड़ी अच्छी जगह हो सकती है।यहां रहना घूमना मन को
आनंदित करता है।
यहां मध्य प्रदेश टूरिज्म के
अच्छे होटल भी हैं। तो रहने के लिए काफी सस्ती धर्मशालाएं भीं हैं। ज्यादा जानकारी
के लिए एमपी
टूरिज्म की साइट पर
जाएं।
-----------विद्युत
प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
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