कान्हा द्वारका नगरी में द्वारकाधीश के मंदिर में दर्शन के बाद हमलोगों ने आसपास के स्थलों के दर्शन के लिए एक मिनी बस में दो सीटें बुक करा ली है। यह यात्रा किफायती है। इस बस की यात्रा तीन बत्ती चौक के पास से शुरू हुई। बस वाले हमें रुकमणि मंदिर के बाद लेकर पहुंचे हैं शहर के बाहर नागेश्वर मंदिर में।
गुजरात का नागेश्वर
मंदिर भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग मंदिर है। द्वारका के पास दारुका वन इलाके में स्थित
ये मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग की सूची में दसवें स्थान पर आता है। नागेश्वर यानी नागों के
ईश्वर। शिव तो भुजंगधारी हैं ही। उनके गले में आप हमेशा नाग को लिपटे देखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना से आपका सर्प के विष से बचाव होता है।
रुद्र
संहिता में भगवान शिव को दारुकावनें नागेश कहा गया है। किसी जमाने में इस मंदिर के आसपास घने जंगल थे।
आज भी मंदिर के आसपास कोई आबादी नहीं है। इसलिए यहां दिन में ही दर्शन के लिए जा
जा सकता है। कहा जाता है इस इलाके में दारुका नामक राक्षसी का आतंक था। सुप्रिय नामक शिवभक्त वैश्य ने शिव का लगातार ध्यान किया। तब शिव ने उसे ज्योतिर्लिंग के रुप में दर्शन दिया और राक्षसी का मारने के लिए अमोघ अस्त्र प्रदान किया। समस्त राक्षसों का संहार करने के बाद सुप्रिय शिवधाम को चला गया।
भगवान शंकर अपने भक्तों की रक्षा के लिए दारुका वन में
ज्योतिर्लिंग नागेश्वर के रूप में निवास करने लगे। कहा जाता है कि जो इस मंदिर में
शिव की उत्पत्ति का महात्मय सुनेगा वह परमपद को प्राप्त करेगा।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को सभी
प्रकार के जहर से रक्षा करने वाला बताया गया है। यह माना जाता है कि जो मंदिर में प्रार्थना करता है वह जहर के प्रभाव
से मुक्त हो जाता है। इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की शास्त्रों में बड़ी
महिमा बताई गई है। कहा गया है कि जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की
कथा सुनेगा उसे सारे पापों से छुटकारा मिल जाएगा।
नागेश्वर मंदिर में मुख्य शिवलिंग मूर्ति आंतरिक छोटे से गर्भ गृह में पृथ्वी की सतह से नीचे है। मंदिर कब बना इसका कोई ऐतिहासिक संदर्भ नहीं मिलता है। पर वर्तमान में इस शिव मंदिर का विस्तार और जीर्णोद्धार गुलशन कुमार के ट्र्स्ट ने करावाया है। इसके निर्माण में एक करोड़ से ज्यादा राशि खर्च की गई थी।इस मंदिर के समीप ही शिव जी की 85 फीट ऊंचाई की प्रतिमा भी बनवाई गई है। ये प्रतिमा कई किलोमीटर दूर से ही दिखाई देेने लगती है।
नागेश्वर मंदिर में मुख्य शिवलिंग मूर्ति आंतरिक छोटे से गर्भ गृह में पृथ्वी की सतह से नीचे है। मंदिर कब बना इसका कोई ऐतिहासिक संदर्भ नहीं मिलता है। पर वर्तमान में इस शिव मंदिर का विस्तार और जीर्णोद्धार गुलशन कुमार के ट्र्स्ट ने करावाया है। इसके निर्माण में एक करोड़ से ज्यादा राशि खर्च की गई थी।इस मंदिर के समीप ही शिव जी की 85 फीट ऊंचाई की प्रतिमा भी बनवाई गई है। ये प्रतिमा कई किलोमीटर दूर से ही दिखाई देेने लगती है।
पूजा और अभिषेक - नागेश्वर मंदिर में अगर आप किसी तरह की पूजा करवाना चाहते हैं तो मंदिर
प्रबंधन समिति के द्वारा शुल्क निर्धारित है। यह 105 से
लेकर 2000 रुपये तक हो सकता है। जिन भक्तों को पूजन
अभिषेक करवाना होता है, उन्हें मंदिर के पूजा काउंटर पर
शुल्क जमा करवाकर रसीद प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर समिति एक पुरोहित को भक्त के साथ अभिषेक के लिए भेजती है। पुरोहित भक्त को लेकर गर्भगृह में ले जाते हैं।
कैसे पहुंचे - गुजरात के द्वारका शहर से 17 किलोमीटर दूर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। मंदिर द्वारका ओखा मार्ग पर स्थित है। इसलिए ये ओखा और भेंट द्वारका से भी नजदीक है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
के लिए आप द्वारका से आरक्षित आटो रिक्शा करके जा और आ सकते हैं। इसमें आप मंदिर
में अपनी इच्छानुसार पूजा अभिषेक के लिए पूरा समय दे सकते हैं। या फिर आप द्वारका
दर्शन बस पैकेज में भी नागेश्वर जा सकते हैं। हालांकि पैकेज बस वाले यहां श्रद्धालुओं के लिए सीमित समय देते हैं।
- - माधवी
रंजना
(JYOTIRLINGAM, NAGESHWAR, TEMPLE, SHIVA, GUJRAT, DWARKA)
देश में कहां कहां हैं 12 ज्योतिर्लिंग
1. सोमनाथ ( गुजरात)
2. श्री मल्लिकार्जुन स्वामी ( करनूल, आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर ( उज्जैन, मध्य प्रदेश )
4. ओंकारेश्वर (खंडवा, मध्य प्रदेश )
5. केदारनाथ (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड )
6. भीमाशंकर (मंचर, पुणे, महाराष्ट्र)
7. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र)
9. वैद्यनाथ (देवघर, झारखंड)
10. नागेश्वर (द्वारका, गुजरात)
11. रामेश्वरम (रामनाथपुरम, तमिलनाडु)
12. घृष्णेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
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ReplyDeleteमहादेव महादेव की जय हो ��������������
धन्यवाद
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