सिर्फ सैलानियों को
ही नहीं दक्षिण भारत का अति खूबसूरत हिल स्टेशन ऊटी हिंदी फिल्मकारों को हमेशा से
रिझाता रहा है। अनगिनत ऐसी फिल्में हैं जिनकी शूटिंग ऊटी में हुई। मिथुन चक्रवर्ती
को तो ऊटी इतना पसंद आया कि वे अपनी कई फिल्मों की शूटिंग वहां जरूर रखवाते थे।
उनकी फिल्म प्यार झुकता नहीं ने उनकी मद्धिम पड़ते कैरियर को एक बार फिर से नई
रवानी दी थी। बाद में मिथुन दादा ने ऊटी में अपना होटल ही खोल लिया नाम रखा मोनार्क। मोनार्क की
शाखाएं ऊटी के अलावा मैसूर व दक्षिण एक और शहर मसानगुडी में है।
प्रियदर्शन ने पहली
हिंदी फिल्म बनाई मुस्कुराहट 1992 में तो उसकी पूरी शूटिंग ऊटी में की। हालांकि जय
मेहता और रेवती की ये फिल्म बाक्स आफिस पर ज्यादा कमाल नहीं दिखा सकी। लेकिन इस
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी में ऊटी का सौन्दर्य यूं नजर आता है जैसे आप किसी कलाकार
की पेंटिंग देख रहे हों।
पर हिंदी फिल्म में दोस्ताना, साजन, राजा हिंदुस्तानी
जैसे नाम हैं जिनमें ऊटी शहर का सौन्दर्य निखर कर आता है। ऊटी अमिताभ बच्चन को भी
काफी पसंद है उन्होंने दोस्ताना की शूटिंग वहां की थी तो बाद में मर्द और आखिरी
रास्ता में भी ऊटी के नजारे हैं। तो संजय दत्त और आमिर खान को भी ये हिल स्टेशन
खूब भाता है।
संजय दत्त माधुरी की फिल्म साजन में आप ऊटी का दिलकश नजारा जगह जगह देख सकते हैं।
संजय दत्त माधुरी की फिल्म साजन में आप ऊटी का दिलकश नजारा जगह जगह देख सकते हैं।
याद करें फिल्म साजन का गीत – मेरा दिल भी कितना पागल है ये प्यार
तो तुमसे करता है। फिल्म के कई गानों में भी ऊटी की रुमानी दुनिया दिखाई देती है। दक्षिण
के निर्माताओं की खास तौर पर तमिल और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को तो ऊटी
खूब पसंद है। मणिरत्नम ने जब फिल्म दिल से बनाई तो इसका एक गीत ऊटी के नीलगिरी
माउंटेन रेल पर शूट किया।
याद करें चलती ट्रेन की छत पर – चल छईंया छईंया पर
शानदार कोरियोग्राफी में नृत्य करते मलयिका अरोड़ा और शाहरूख खान। इस गीत में
नीलगिरी के पहाड़ों का अद्भुत आभा देखने को मिलती है।
ऊटी के पास स्थित
पयाकरा फाल्स को भी कई फिल्मों में देखा जा सकता है। गुरू (तमिल) के अलावा हिंदी
फिल्में जांबाज, ( गीत- तेरा मेरा साथ कितना प्यारा) गैंगेस्टर, कामचोर, नगीना ( गीत- आजकल याद कुछ
भी रहता नहीं) फिल्मों की शूटिंग ऊटी में की गई थी।
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