
पद्मावती
यानी भगवान विष्णु की पत्नी। देश के तमाम शहरों में आपको लक्ष्मीनारायण के मंदिर
साथ साथ मिलते हैं। लेकिन तिरुपति में बालाजी का मंदिर तिरुमाला पर्वत पर है तो
उनकी पत्नी पद्मावती यानी महालक्ष्मी का मंदिर तिरुचानू में है।
तिरुपति से छह किलोमीटर की दूरी पर है तिरूचानू स्थित पद्मावती
मंदिर। कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी के दर्शन से पहले पद्मावती देवी के दर्शन
करने चाहिए तभी बालाजी का दर्शन अच्छी तरह फलीभूत होता है। पद्मावती देवी के बारे में कहा जाता है कि वे भक्तों पर
क्षमाशील हैं। वे आपके पापों को तुरंत क्षमा कर देती हैं और जल्दी प्रसन्न होकर
आशीष भी देती हैं।
17वीं सदी का मंदिर - पद्मावती देवी का मंदिर भी दक्षिण के मंदिरों की तरह द्रविड शैली में
बना है। मंदिर 17वीं सदी का बना हुआ है। मंदिर में माता की चांदी की
विशाल मूर्ति है। माता पद्मासन में बैठी हैं। उनके दो हाथों में कमल का पुष्प है।
एक पुष्प अभय का प्रतीक है तो दूसरा पुष्प वरदान का। मंदिर में देवी का श्रंगार 24
कैरेट के सोने से किया गया है।
बालाजी की पत्नी पद्मावती के बारे में कहा जाता है कि वे 12 सालों तक पाताल लोक में वास कर रही थीं। 13वें साल में माता पद्मावती धरती पर अवतरित हुईं। कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को देवी का अवतरण हुआ।
बालाजी की पत्नी पद्मावती के बारे में कहा जाता है कि वे 12 सालों तक पाताल लोक में वास कर रही थीं। 13वें साल में माता पद्मावती धरती पर अवतरित हुईं। कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को देवी का अवतरण हुआ।
कैसे पहुंचे - तिरूचानू के पद्मावती देवी के मंदिर तक जाने के लिए तिरुपति रेलवे स्टेशन से हर 15 मिनट पर बस मिलती है। ये महज 20 मिनट का रास्ता है। लेकिन कई बार मंदिर में दर्शन के लिए आपको छह से आठ घंटे लग सकते हैं। कई बार यहां समान्य दर्शन में छह से 12 घंटेकी लाइन लगी रहती है। वैसे मंदिर दर्शन के लिए सुबह साढे छह बजे से खुल जाता है। यहां भी अतिरिक्त शुल्क देकर स्पेशल दर्शन और कल्याणोत्सव पूजा का विधान है।
- माधवी रंजना
( TIRUPATI, TIRUMALA, BALAJEE, ANDHRA PRADESH, SOUTH INDIA IN SEVENTEEN DAYS 69 )
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