दिल्ली के
शाहदरा जंक्शन से सहारनपुर के लिए वाया बागपत- बड़ौत-शामली होकर रेलवे मार्ग
संचालन में है। किसी जमाने में ये नैरो गेज लाइन हुआ करती थी।
मार्टिन एंड कंपनी ने 1907 में शाहदरा (दिल्ली) -सहारनपुर लाइट रेलवे का संचालन आरंभ किया था। 2 फीट 6 ईंच ( 762 मिली मीटर) की पटरियों वाले इस रेल नेटवर्क की लंबाई 92 मील ( 165 किलोमीटर) थी। इस रेल नेटवर्क ने 63 साल तक क्षेत्रवासियों को सफलतापूर्वक अपनी सेवाएं दीं।
मार्टिन एंड कंपनी ने 1907 में शाहदरा (दिल्ली) -सहारनपुर लाइट रेलवे का संचालन आरंभ किया था। 2 फीट 6 ईंच ( 762 मिली मीटर) की पटरियों वाले इस रेल नेटवर्क की लंबाई 92 मील ( 165 किलोमीटर) थी। इस रेल नेटवर्क ने 63 साल तक क्षेत्रवासियों को सफलतापूर्वक अपनी सेवाएं दीं।
मार्टिन का सबसे लंबा रेल नेटवर्क - लंबाई
के लिहाज से देखें तो यह निजी कंपनी मार्टिन एंड बर्न द्वारा संचालित नैरो गेज
रेलवे में सबसे लंबा नेटवर्क था। बिहार बंगाल में संचालित मार्टिन की सभी रेल सेवाएं लंबाई की लिहाज से इससे छोटी थीं। यों कहें कि यह मार्टिन की सबसे लंबी और सबसे बड़ी परियोजना थी तो यह गलत नहीं होगा। यह मार्टिन द्वारा उत्तर प्रदेश ( तब यूनाइटेड
प्रॉविंस) में संचालित एकमात्र रेलवे लाइन थी।
मार्टिन एंड कंपनी कुल आठ लाइट रेलवे का संचालन कर रही थी। इनमें
शाहदरा-सहारनपुर रेलमार्ग सबसे लंबा नेटवर्क था। बंगाल में चार, बंगाल में हावड़ा-आम्टा (70.3 किमी),
हावड़ा-शियाखल्ला रेल लाइन (27.1 किमी), बारासात-बशीरघाट लाइट रेलवे (53 किमी) और शांतिपुर-कृषनगर- नवाद्वीप लाइट
रेलवे ( 45 किमी ) संचालन में थीं।
बिहार में तीन बिहार में बख्तियारपुर-बिहार लाइट रेलवे ( 53 किमी), फतवा-इस्लामपुर लाइट रेलवे ( 64 किमी) और आरा सासाराम लाइट रेलवे ( 111 किमी) संचालन में थी।
साल 1973 में शाहदरा सहारनपुर रेलमार्ग को ब्राड गेज में बदला गया। बागपत के तत्कालीन कांग्रेस सांसद
रामचंद्र विकल के प्रयासों से यह लाइन नैरोगेज लाइन के बंद होने के बाद जल्द ही
ब्राड गेज में परिवर्तित हो गई। अब यह लाइन उत्तर रेलवे का हिस्सा है। शाहदरा से
सहारनपुर के बीच ब्राडगेज पर यह सिंगल लाइन का नेटवर्क है। इसे डबल और विद्युतीकृत
किए जाने पर यह दिल्ली से यूपी, उत्तराखंड हरियाणा और पंजाब की तरफ ट्रेनों को
निकालने का अच्छा वैकल्पिक मार्ग हो सकता है। इसलिए रेलवे ने इस मार्ग को 2016 में
डबल लाइन में परिवर्तित करने का फैसला लिया।
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हंसले निर्मित शादा लोकोमोटिव 1948 में पैसेंजर कोचों को खींचता हुआ। ( सौ. कांटिनेंटल रेलवे सर्किल यूके ) |

दो साल में बिछाई गई लाइन - इस लाइन को बिछाने का काम दो साल में बड़े ही तीव्र गति से किया गया। रेलमार्ग के निर्माण के लिए तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस सरकार और कंपनी के बीच एक अनुबंध पर हस्ताक्षर हुआ। हालांकि सरकार की ओर से रेलवे कंपनी को कोई गारंटी नहीं दी गई पर रेलवे लाइन निर्माण के लिए जमीन फ्री में उपलब्ध कराई गई। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतीबाड़ी योग्य बेहतर गुणवत्ता की जमीन थी, जो नहर से सींचित इलाके में थी। मार्टिन एंड कंपनी ने कुल 92.63 मील लंबा रेलवे लाइन बिछाया।
सात मई 1907 को इस रेल मार्ग का शाहदरा शामली तक का तकरीबन 100 किलोमीटर का रेलवे खंड चालू हो गया।इसके बाद इसी साल 15 अक्तूबर 1907 को शामली सहारनपुर खंड पर रेल यातायात चालू कर दिया गया।
शुरुआत
में इस रेल मार्ग पर कुल आठ लोकोमोटिव की सेवाएं ली गईं। कुल 35 कोच यात्रियों को
ढोने के लिए मंगाए गए थे। वहीं माल ढुलाई के लिए कुल 189 वैगन भी इस रेल मार्ग पर
उपलब्ध थे।
सहारनपुर
में इस लाइट रेलवे की काफी परिसंपत्तियां थीं। यहां पर रेलवे का भवन, बच्चों का
पार्क, एक कैंटीन, एक डिस्पेंसरी, प्रशासनिक दफ्तर, रेस्ट हाउस, आउट हाउस,
अधिकारियों के आवास आदि थे। रेलवे कंपनी पर जिला म्युनिसपल बोर्ड द्वारा इन भवनों
के लिए 3957.75 रुपये सालाना कर तय किया गया था। इसकी वसूली के लिए मुकदमेबाजी भी
हुई।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( SHAHDARA SAHARNPUR LIGHT RAILWAY, MARTIN BURN LIMITED, RAIL, NARROW GAUGE, DELHI, UP, SSLR-1)
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