सयाजी राव रोड से गुजरती दशहरे की झांकी। - विद्युत |
झांकी देखने के लिए पेड़ पर चढ़े लोग। - विद्युत |
यूं तो दशहरा पूर देश में मनाया जाता
है लेकिन मैसूर में इसका विशेष महत्व है। किसी जमाने में मैसूर के दशहरे में हाती
पर सवार होकर राजा झांकी में निकलते थे। लेकिन अब देश आजाद होने के बाद हाथियों के
हौदे पर माता चामुंडेश्वरी की प्रतिकृति को विराजमान किया जाता है। अब वही राजा की
प्रतीक हैं। दस दिनों तक चलने वाला यह उत्सव चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर के वध
का प्रतीक है। इसमें बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है।
इस पूरे महीने मैसूर महल को रोशनी से
सजाया जाता है। इस दौरान अनेक सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्सव के अंतिम दिन बैंड बाजे के
साथ सजे हुए हाथी देवी की प्रतिमा को पारंपरिक विधि के अनुसार शहर के बाहर
बन्नी मंडप तक पहुंचाते है। करीब पांच किलोमीटर लंबी इस यात्रा के बाद रात को शानदार आतिशबाजी का
कार्यक्रम होता है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई
जाती है। वीआईपी गैलरी में इस आतिशबाजी को देखने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है
जिसकी एडवांस बुकिंग काफी पहले हो जाती है।
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