देश के सबसे सुंदर और व्यवस्थित
चिड़ियाघरों में से एक है मैसूर का जू। अगर आप मैसूर में हैं तो इस चिड़ियाघर को देखने
के लिए वक्त जरूर निकालें। अगर अच्छी तरह से घूमना चाहते हैं तो आधे दिन का वक्त
निकालें या फिर तेजी से घूमना चाहते हैं
तो डेढ़ घंटे का वक्त निकालें। मैसूर के चिड़ियाघर का कुल ट्रैक 3 किलोमीटर
का है। प्रवेश द्वार से आगे जाने के लिए पथ प्रदर्शक बने हुए हैं इसलिए घूमने में
कोई परेशानी नहीं होती।
मैसूर जू का विस्तार कुल 157
एकड़ या 64 हेक्टेयर में है। मैंने अब तक दिल्ली, पटना, कोलकाता, भुवनेश्वर,
चेन्नई, हैदराबाद आदि शहरों का जू देख रखा है। इन अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं
कि आपको मैसूर जू भी जरूर देखना चाहिए। मैसूर चिड़ियाघर की स्थापना 1892 में हुई।
इस लिहाज से यह देश के पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसका नाम चामराजेंद्र
जूलोजिकल गार्डन है।
जहां अभी ये चिड़ियाघर बना है यह कभी महाराजा चामराजेंद्र का
समर पैलेस हुआ करता था।धीरे धीरे यहां चिड़ियाघर का संग्रह तैयार किया गया। पर यह
राजा का निजी संग्रह था। पर इसे 1902 में आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया। 1948
में देश के आजाद होने के बाद मैसूर सरकार के उद्यान विभाग के अधीन आ गया। तब इसमें
150 एकड़ करीब और भूमि को जोड़कर इसे विशाल रूप प्रदान किया गया। 1972 में यह
चिड़ियाघर वन विभाग के अधीन आ गया। 1979 में जू आथरिटी ऑफ कर्नाटका का गठन कर जू
उसके हवाले कर दिया गया। आजकल यहां 168 तरह के जानवर देखे जा सकते हैं। कुल 1300
से ज्यादा जंतु आजकल चिड़ियाघर में मौजूद है। 1992 में इस चिड़ियाघर ने अपना
शताब्दी वर्ष मनाया।
साल 2000 के बाद यहां जानवरों
को एडाप्ट करने की योजना भी लागू की गई। इससे लोगों को वन्य जीवों के प्रति
साहचर्य बढ़ता है। यह योजना लोकप्रिय हुई तो देश के दूसरे चिड़ियाघरों ने भी इसे
अपनाया। इस जू के परिसर में 77 एकड़ में कारंजी लेक स्थित है जो बड़ा आकर्षण का
केंद्र है। इसमें कई तरह के जलीय जीव और पक्षी देखे जा सकते हैं।
चिड़ियाघर में हरियाली और जीव
जंतुओं का बहुत बड़ा संग्रह है जहां से बच्चों की तो बाहर आने की इच्छा ही नहीं
होती। चिड़ियाघर का रख-रखाव भी बहुत व्यवस्थित है। यहां के बगीचों को खूबसूरती से
सजाया गया है। शेर के अलावा हाथी, सफेद
मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और
गोरिल्ला भी यहां देखे जा सकते हैं। यहां कोलंबो जू से मिले पांच एनाकोंडा देखे जा
सकते हैं। जिराफ और जेब्रा भी यहां के खास आकर्षण हैं।
प्रवेश टिकट –
बड़े लोगों के लिए 60 रुपये और बच्चों के लिए 30 रुपये का टिकट प्रवेश के लिए
निर्धारित है। अगर आप टूरिस्ट बस वाले पैकेज में जू पहुंचते हैं तो बस का गाइड
आपके लिए पहले से ही टिकट लाकर दे देता है। इससे आपका समय बचता है। जू के खुलने का समय सुबह 8.30 से शाम 5.30 तक है। हर मंगलवार को यह बंद रहता है। अगर आप दोपर 3 बजे के बाद जाएं तो आपको जानवर और चिड़िया ज्यादा सक्रिय दिखाई देंगी। चिड़ियाघर के
अंदर घूमने के लिए बैटरी कार भी उपलब्ध है। रास्ते में पेयजल और शौचालय आदि का
बेहतर इंतजाम है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
बहुत अच्छा जानकारी !
ReplyDeleteजीव और उद्यान का कुछ और चित्र होता तो बहुत अच्छा होता !
धन्यवाद , आपकी सलाह पर आगे अमल करूंगा, ज्यादा तस्वीरें डालने की...
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