तिरुवनंतपुरम का कारपोरेशन उद्यान। |
तिरुवनंतपुरम का इतिहास 1000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। त्रावणकोर के संस्थापक मार्तंड वर्मा ने तिरुवनंतपुरम को अपनी राजधानी बनाया।
केरल दक्षिण भारत का एक ऐसा राज्य है
जहां प्रकृति एवं संस्कृति संगम देखने को मिलता है। सबसे पहले इस राज्य में ही मानसून पहुंचता
है और बारिश होती है। इसलिए यहां की धरती काफी उर्वर है।
केरल में नारियल के पेड़ बहुतायत हैं।
नारियल को ‘केर’ भी कहा जाता है,
केर वृक्षों की बहुत पैदावार के कारण
इसका नाम केरल पड़ा। ‘केरल’ राज्य की स्थापना आज़ादी के बाद 1956 में मालाबार एवं त्रावनकोर को मिलाकर
की गई। तब तिरुअनंतपुरम को इस राज्य की राजधानी बनाया गया।
कोवलम तट पर नारियल के पेड़। |
त्रिवेंद्रम रेलवे
स्टेशन के पूर्वी तरफ पद्मनाभ स्वामी का मंदिर है। मंदिर एक किले के समान है। यहीं
पर शहर का स्थानीय बस स्डैंड भी है। त्रिवेंद्रम में स्थानीय सेवा में डबल
डेकर बसें भी चलती हुई देखी जा सकती हैं।
सोने चांदी का बाजार, जाला बाजार - पद्मनाभ स्वामी मंदिर के सामने केरल का पुराना जाला बाजार। यह पुराने तिरुवंनंतपुरम शहर का प्रमुख बाजार है। इस बाजार में अनगिनत सोने चांदी के दुकाने हैं। केरल में सोने के गहने बनाने और पहनने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। यहां पर गरीब घरों की महिलाएं भी सोने से लदी हुई रेल और बस में निडर होकर सफर करती हैं। त्रिवेंद्रम शहर में कुछ जाने माने ज्वेलर हैं जिनकी देश भर में ख्याति हैं। जैसे जोस लुकास और मालाबार ज्वेलर। अब केरल के ज्वेलर केरल से बाहर निकल कर दिल्ली और मुंबई में भी अपने शो रुम खोल रहे हैं।
तिरुवनंतपुरम में क्या- क्या देखें-
1. पद्मनाभ स्वामी मंदिर 2. पद्मनाभपुरम पैलेस 3. चिड़ियाघर (जू) 4 नैपियर म्युजियम 5. कोवलम बीच 6. लाइट हाउस ।
हमलोग दोपहर में कोच्चि से चलकर त्रिवेंद्रम रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए हैं। पर इस समय घनघोर बारिश हो रही है। थोड़ी देर तक हमें स्टेशन पर ही रुकना पड़ा। बारिश थोड़ी कम हुई तो सबसे पहले बाहर निकलकर भोजन के लिए एक रेस्टोरेंट में रुके। पर यह रेस्टोरेंट शुद्ध शाकाहारी नहीं था। इसलिए यहां पर खाते हुए अच्छी अनुभूति नहीं हुई। इसके बाद हमलोग मंजालीकुलम रोड स्थित प्रवीण टूरिस्ट होम पहुंचे। यह हमारा त्रिवेंद्रम का ठिकाना बना। यहां भी मैंने अग्रिम आरक्षण नहीं कराया था। पर इंटरनेट पर सर्च करके इसका पता ले रखा था। यहां पर हमें 400 रुपये का कमरा मिला। कमरा और टूरिस्ट होम की व्यवस्था संतोषजनक है।
सोने चांदी का बाजार, जाला बाजार - पद्मनाभ स्वामी मंदिर के सामने केरल का पुराना जाला बाजार। यह पुराने तिरुवंनंतपुरम शहर का प्रमुख बाजार है। इस बाजार में अनगिनत सोने चांदी के दुकाने हैं। केरल में सोने के गहने बनाने और पहनने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। यहां पर गरीब घरों की महिलाएं भी सोने से लदी हुई रेल और बस में निडर होकर सफर करती हैं। त्रिवेंद्रम शहर में कुछ जाने माने ज्वेलर हैं जिनकी देश भर में ख्याति हैं। जैसे जोस लुकास और मालाबार ज्वेलर। अब केरल के ज्वेलर केरल से बाहर निकल कर दिल्ली और मुंबई में भी अपने शो रुम खोल रहे हैं।
तिरुवनंतपुरम में क्या- क्या देखें-
1. पद्मनाभ स्वामी मंदिर 2. पद्मनाभपुरम पैलेस 3. चिड़ियाघर (जू) 4 नैपियर म्युजियम 5. कोवलम बीच 6. लाइट हाउस ।
हमलोग दोपहर में कोच्चि से चलकर त्रिवेंद्रम रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए हैं। पर इस समय घनघोर बारिश हो रही है। थोड़ी देर तक हमें स्टेशन पर ही रुकना पड़ा। बारिश थोड़ी कम हुई तो सबसे पहले बाहर निकलकर भोजन के लिए एक रेस्टोरेंट में रुके। पर यह रेस्टोरेंट शुद्ध शाकाहारी नहीं था। इसलिए यहां पर खाते हुए अच्छी अनुभूति नहीं हुई। इसके बाद हमलोग मंजालीकुलम रोड स्थित प्रवीण टूरिस्ट होम पहुंचे। यह हमारा त्रिवेंद्रम का ठिकाना बना। यहां भी मैंने अग्रिम आरक्षण नहीं कराया था। पर इंटरनेट पर सर्च करके इसका पता ले रखा था। यहां पर हमें 400 रुपये का कमरा मिला। कमरा और टूरिस्ट होम की व्यवस्था संतोषजनक है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(THIRUVANANTHAPURAM, KERALA, CAPITAL, ZALA BAJAR, GOLD MARKET, PRAVEEN TOURIST HOME, SOUTH INDIA IN SEVENTEEN DAYS - 15 )
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