कन्याकुमारी में तीन समुद्रों का मिलन होता है। यहां बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर तीनों आकर एक जगह मिलते हैं। इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। तो यहां पर समंदर की लहरों को देखना अत्यंत ही सुखकर अनुभूति है। हर साल 25 लाख के आसपास सैलानी इस संगम के नजारे को देखने के लिए पहुंचते हैं। तो देश के इस आखिरी छोर पर हम भी पहुंच गए हैं।
कन्याकुमारी शहर का नाम पड़ा है कन्याकुमारी के मंदिर के नाम पर। कन्याकुमारी देवी पार्वती का ही दूसरा स्वरूप है। देवी कन्याकुमारी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दुष्टों का संहार किया था। तो मंदिर के आसपास आपको कन्याकुमारी का रुप धरे बालिकाएं मिल जाएंगी जो दुकानदारों से मंदिर के लिए दान मांगती हैं। कन्याकुमारी मंदिर मंदिर के आसपास मोतियों, शंख, कौड़ियों मशालों, ड्राई फ्रूट्स की दुकानें हैं। इस मंदिर का एक द्वार समंदर की तरफ है।
कई बार समंदर से आने वाली लहरें आपको भिगो देती हैं। हालांकि यहां समंदर में नहाने के लिए कोवलम जैसा खूबसूरत तटीय किनारा नहीं है। लेकिन कन्याकुमारी के समंदर में भी स्नान करना एक न भूलने वाली अनुभूति है। काफी लोग यहां धार्मिक भावना से भी स्नान करते हैं। और फिर स्नान के बाद पूजा पाठ।
कुमारी अमान मंदिर के समुद्र तट के सामने नजर आता है विवेकानंद रॉक मेमोरियल और संत तिरुवल्लुर की बड़ी सी प्रतिमा। मंदिर के बगल में ही कांची शंकरचार्य का मठ और उसके बगल में गांधी मंडप है। वहीं दूसरी तरफ एक पुराना चर्च भी है। ये सब कुछ घूमने के लिए आधा दिन का वक्त काफी है। लेकिन आपकी मर्जी है आपका जी नहीं भरे तो देर तक नजारा कर सकते हैं।
- - विद्युत प्रकाश मौर्य
((KANYAKUMARI, CAPE, TAMILNADU, SEA, SOUTH INDIA IN SEVENTEEN DAYS -21 )
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