मीनाक्षी मंदिर का पश्चिमी गोपुरम ( वेस्ट टॉवर ) - रेलवे स्टेशन मार्ग की ओर से |
मदुरै का
मीनाक्षी मंदिर देश के सबसे खूबसूरत, आकर्षक
और विलक्षण मंदिरों में शामिल है। स्थापत्य कला के लिहाज से यह भारत के अजूबों में
शामिल किया जाता है। इसकी वजह द्रविड़ शैली में बने इस विशाल मंदिर की अत्यंत महीन
शिल्पकारी। यह दक्षिण भारत के सबसे बड़े परिसर वाले मंदिरों में से एक है। मंदिर
मदुरै शहर के बीचों बीच स्थित है। वर्तमान मंदिर 17वीं सदी
का बना हुआ है। मंदिर में आठ खंभो पर लक्ष्मी जी की आठ मूर्तियां उत्कीर्ण की गई
हैं।
मां पार्वती
का नाम है मीनाक्षी- मंदिर का पूरा नाम मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर
है। मीनाक्षी यानी देवी पार्वती का रुप और सुंदरेश्वर यानी शिव। कहा जाता है एक
जन्म में पार्वती मीनाक्षी के रुप में तमिल प्रदेश में एक राजा के घर में पैदा
हुईं तो शिव सुंदरेश्वर के रुप में। इस जन्म में मीनाक्षी को सुंदरेश्वर को पाने
के लिए तपस्या करनी पड़ी।
यह माना जाता है कि मीनाक्षी मंदिर का अस्तित्व मदुरै में छठी शताब्दी से था। तमिल संगम साहित्य में इस मंदिर की चर्चा आती है। 14वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमणकारी मलिक काफूर ने इस मंदिर में लूटपाट की। मीनाक्षी मंदिर जिस वर्तमान स्वरूप में दिखाई देता है उसका निर्माण 1623 से 1655 ई. के बीच कराया गया। इसका निर्माण नायक वंश के शासक विश्वनाथ नायकर ने करवाया। कई एकड़ में बने मीनाक्षी मंदिर में चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार हैं। हर प्रवेश द्वार पर विशाल गोपुरम बना है। इन गोपुरम में देवी देवताओं के प्रतिमाएं हैं। सबसे विशाल दक्षिण गोपुरम (टावर) है जो 51.90 मीटर ऊंचा है।
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मीनाक्षी मंदिर के अंदर स्वर्ण कलश |
कैसे पहुंचे - मीनाक्षी मंदिर मदुरै रेलवे स्टेशन से महज आधा किलोमीटर है। अगर आप मदुरै में सिर्फ मीनाक्षी मंदिर देखना चाहते हैं तो अपना सामान क्लाक रुम में जमा करके मंदिर दर्शन के बाद अगले शहर को प्रस्थान कर सकते हैं। या फिर रेलवे स्टेशन और मंदिर के आसपास भी सस्ते आवास मिल सकते हैं। मंदिर के आसपास दुकानों में भी क्लाक रुम की सुविधा है।
खुलने का समय - मीनाक्षी मंदिर में सुबह और शाम दर्शन किए जा सकते हैं। सुबह 5 बजे मंदिर खुलता है। दोपहर में 12.30 बजे मंदिर बंद होने के बाद शाम को 4 बजे खुलता है। रात 10 बजे मंदिर बंद हो जाता है। मंदिर में मोबाइल फोन और कैमरे भी वर्जित हैं। कैमरे का इस्तेमाल शुल्क देकर किया जा सकता है।
प्रवेश के लिए
ड्रेस कोड - दक्षिण के अन्य
मंदिरों की तरह यहां भी ड्रेस कोड है। पर पुरुषों के लिए बंदिश नहीं महिलाएं
शार्ट्स या स्कर्ट आदि पहन कर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। हर साल अप्रैल
महीने में मंदिर में शिव पार्वती विवाह का भव्य आयोजन होता है। इसे तमिल में
मीनाक्षी थिरुकल्याणम कहा जाता है। इस दौरान करीब 10 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
हर शाम
सांस्कृतिक संध्या - हर रोज शाम के मंदिर में देवी की स्तुति में
गायन और नृत्य के कार्यक्रम भी होते हैं। मंदिर परिसर में गजराज महाराज भी भक्तों
को आशीर्वाद देते नजर आते हैं। हमने भी यहां मंदिर की नृत्यशाला में कई घंटे तक
सांस्कृतिक आयोजन का रसास्वादन किया।
मंदिर में
कुल चार प्रवेश द्वार हैं और सभी एक जैसे नजर आते हैं। इसलिए मीनाक्षी मंदिर में
प्रवेश करने वाले श्रद्धालु ये याद रखें कि उन्होंने कौन से द्वार से प्रवेश किया
था। फिर वापस भी उसी द्वार से निकलें। वर्ना गलत द्वार से बाहर होने पर आप शहर के
किसी और इलाके में पहुंच सकते हैं।
कुछ ऐसा है
मीनाक्षी मंदिर
14 एकड़
( 5.7 हेक्टेयर ) में है मंदिर का परिसर
14 गोपुरम
हैं कुल मीनाक्षी मंदिर में,इनमें 4 बाहर और
10 अंदर हैं।
45 से 50
मीटर तक ऊंचाई हर गोपुरम की।
09 मंजिलों वाले हैं सभी 4 बाहरी टावर (गोपुरम )।
09 मंजिलों वाले हैं सभी 4 बाहरी टावर (गोपुरम )।
51.90 मीटर
है सबसे बड़े दक्षिण गोपुरम की ऊंचाई
1000
स्तंभों वाला एक विशाल हॉल बना है मंदिर में
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( MINAXI TEMPLE, MADURAI, SOUTH INDIA IN SEVENTEEN DAYS 31)
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