
(चंबल
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चंबल के बीहड़ों में भू जल स्तर काफी नीचे है। कहीं 300 फीट तो कहीं 400 फीट। इसलिए
गांव के लोगों के लिए अपने बूते पर हैंडपंप लगवाना आसान नहीं है। जाहिर है हर घर
में हैंडपंप नहीं होता। सरकार बोरिंग करके गांव में एक हैंडपंप लगवा देती है। सारा
गांव उसी से पानी निकाल कर अपनी सारी जरूरतें पूरी करता है।
हमारे कीर का झोपड़ा में भी एक हैंडपंप था लेकिन वह महीनों से खराब
पड़ा था। गांव के लोगों ने ठीक कराने के लिए शिकायत दर्ज करा रखी थी। इंतजार की
घड़ियां खत्म हुई और एक दिन हैंडपंप रिपेयर करने वाला मिस्त्री गांव में पहुंच भी
गया। वह गांव के लोगों के लिए सबसे बड़ा मेहमान था। पहले तो उसके आते ही उसकी खूब
खातिर हुई। कुछ घंटे की मेहनत के बाद उसने हैंडपंप ठीक कर दिया। गांव के हैंडपंप
से पानी निकल पड़ा। गांव में इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती थी। भला 4 किलोमीटर दूर से रोज पानी
नहीं लाना पड़ेगा। चायना,

हर घर से कुछ न कुछ नकदी का चढ़ावा हैंडपंप के मेकेनिक के लिए निकाला गया। जाहिर है मैकेनिक गांव से खुश होकर गया। लेकिन गांव के लोगों के साथ खुशियां ज्यादा देर तक टीक कर नहीं रह सकीं। क्योंकि हैंडपंप से पानी निकलना एक दिन बाद भी बंद हो गया। इसके बाद क्या...फिर वही चंबल मैया का आसरा।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
vidyutp@gmail.com
(HANDPUMP, REPAIR, KIR KA JHOPDA, CHAMBAL, MP )
चंबल का सफरनामा शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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