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श्योपुर की हरी भरी वादियां, बारिश के दिनों में |
(चंबल
27)
रात के दस
बजे थे। सारा गांव सो चुका था। हमलोग भी खुले आसमान के नीचे अपनी खाट पर सो रहे थे, तभी अचानक गांव के किसी व्यक्ति ने हमें जगाया और
कहा, हुरे मास्टर जागो और गांव छोड़कर भागो। हमने देखा आधे
किलोमीटर दूर एक खुली जीप की रोशनी दिखाई दे रही थी। जीप गांव की ओर आती हुई दीख
रही थी। सारे गांव के लोग इस जीप की रोशनी को देखकर अपने अपने घर छोड़कर भाग चुके
थे। वे हमें भी सलाह दे रहे थे कि तुम लोग भी चलो हमारे साथ बीहड़ में छिप जाओ।
हमने माजरा
समझने की कोशिश की। हालांकि अब चंबल के गांव में डाकू नहीं आते लेकिन इस गांव में
पहले कभी कोई जीप नहीं आई। गांव के लोगों शक था पक्का इस जीप से डाकू ही आ रहे
हैं। दिग्विजय भाई ने कहा तुम लोग जाओ हम आने वाली जीप के लोगों से बात करेंगे। हम
नहीं डरते।
मेरे मन में
भी कुछ आशावादी विचार ही आए। हमलोग वहीं रहे। जीप हमारे पास पहुंची। जीप के आगे
राष्ट्रीय युवा योजना लिखा था। दरअसल वह महात्मा गांधी सेवा आश्रम की जीप थी।
गाड़ी में हमारे सचिव रणसिंह परमार, हमारे
साथी जय सिंह जादोन और दूसरे गांधीवादी कार्यकर्ता थे। वे हमसे ही मिलने गांव
पहुंचे थे। वे हमारे कामकाज की रिपोर्ट लेना चाहते थे। हमलोग बातें करने लगे। गांव
में साक्षरता कार्यक्रम के अपने अनुभव बताए। रण सिंह जी ने पूछा गांव के सारे लोग
कहां हैं। मैंने कहा अभी पता चल जाएगा। थोड़ा इंतजार करें।
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रण सिंह परमार, सचिव, राष्ट्रीय युवा योजना। |
- vidyutp@gmail.com ( CHAMBAL, SHEOPUR, KIR )
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