
दस साल की चायना के
बाल किसी कारणवश छोटे छोटे करवा दिए गए हैं। इसलिए नाम और चेहरे से चायना शहरी
जैसी ही लगती है। वह गुलाबी रंग का घाघरा और नीली चोली पहनती है। साथ में डालती है
सतरंगी चुन्नी जिसे वह अपनी भाषा में लुगड़ी बोलती है। गांव की सबसे सुंदर लड़की
चायना गांव भर की लाडली भी है। मांगीलाल कीर की इकलौती बेटी और हमारे गाइड काडु की
बहन है चायना। मांगीलाल गांव का एकमात्र पढ़ा लिखा होने के कारण गांव में इज्जत पाता
है। गांव की सारी चिट्ठियां वहीं लिखता भी है वही बांचता भी है।
गांव के सारे लोग
चायना को टांक या टांकली कहकर चिढाते हैं। चिढ़ाने वाले उसे कोटा, बूंदी, जयपुरी,
सांगनेरी, झांसी की रानी और भी बहुत कुछ कहते हैं। बात बात पर खिलखिलाने वाली
चायना ज्यादा चिढ़ाने पर रो पड़ती है।
चायना की शादी नहीं
हुई लेकिन गांव के एक लड़के से उसकी सगाई हो गई है। इसलिए चायना उस लड़के से
शरमाकर दूर ही रहना चाहती है। चायना की मां नहीं है। वह घर का सारा काम देखती है।
पिता का सहयोग करती है। भाई की दुकान भी चला लेती है। अपनी उम्र से कई साल ज्यादा
प्रौढ़ हो चुकी है चायना। शरत के नायिकाओं की तरह। गांव की बाकी महिलाओं की तरह
खड़ेदे से पानी भी लाने जाती है और दूर जंगलों से घास काटकर भी लाती है। जब खुश
होती है तब चायना गीत भी गुनगुनाती है...
जीजो बैठ सड़क पर
रोवे...साड़ी मेरी सासरे चली...
काफी वक्त गुजर गया।
अब तो चायना भी अपने ससुराल चली गई होगी।
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