विशाल गोपुरम - मंदिर में प्रवेश करने के साथ ही इसका विशाल
गोपुरम श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर में विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय की
ओर से बनवाया गया यह राजा गोपुरम या मुख्य प्रवेश द्वार 59 मीटर ऊंचा है।
जब आप मंदिर के मुख्य चौबारे में प्रवेश करते हैं तो विशाल गलियारा आपका स्वागत करता है। इसके दोनों तरफ की नक्काशी देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में ऐसे पांच बड़े गलियारे हैं।
गैर हिंदूओं का प्रवेश निषेध-
एक सीमा के बाद एक बोर्ड मिलता है जिस पर लिखा है कि अपनी धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए इस सीमा के बाद गैर हिंदू लोगों के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है। आप यहीं तक मंदिर के वास्तु शिल्प का आनंद लें। हिंदू लोग पूरे मंदिर का मुआयना कर सकते हैं।
जब आप मंदिर के मुख्य चौबारे में प्रवेश करते हैं तो विशाल गलियारा आपका स्वागत करता है। इसके दोनों तरफ की नक्काशी देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में ऐसे पांच बड़े गलियारे हैं।
गैर हिंदूओं का प्रवेश निषेध-
एक सीमा के बाद एक बोर्ड मिलता है जिस पर लिखा है कि अपनी धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए इस सीमा के बाद गैर हिंदू लोगों के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है। आप यहीं तक मंदिर के वास्तु शिल्प का आनंद लें। हिंदू लोग पूरे मंदिर का मुआयना कर सकते हैं।
पुराना आम्र वृक्ष - मंदिर परिसर में एक आम का वृक्ष है। इसे 3500
साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि इसी वृक्ष के नीचे पार्वती ने शिव को
पाने के लिए कठोर तप किया था। शिव प्रसन्न होने के बाद आम्र वृक्ष में प्रकट हुए
इसलिए उनका नाम एकअंब्रेश्वर पड़ा। यानी आम वृक्ष के देवता। इसके तने को काटकर
मंदिर में धरोहर के रूप में रखा गया है। तमिलनाडु के कांचीपुरम में इस छठी शताब्दी
के मंदिर को पंचभूत स्थलम के पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक का दर्जा प्राप्त
है और यह धरती तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
एक हजार स्तंभ और शिवलिंगम - मंदिर का एक मुख्य आकर्षण अविराम काल मंडपम है, जिसमें एक हजार स्तंभ हैं। इसमें भ्रमण करते हुए इसकी भव्यता में
श्रद्धालु खो जाते हैं। देश में शायद ही कोई मंदिर इतना विशाल हो। मंदिर की भीतरी
प्रांगण की दीवारों के साथ साथ 1008 शिवलिंगम भी
स्थापित किए गए हैं जो मंदिर की दूसरी प्रमुख भव्यता है। इतने शिवलिंगम एक साथ
किसी भी दूसरे मंदिर में नहीं हैं। मंदिर परिसर में एक सुंदर सरोवर भी है। इस
सरोवर के बीच में एक गणेश की प्रतिमा है।
कांचीपुरम इडली - कांचीपुरम इडली एक
परंपरागत रेसिपी है जो कि कांचीपुरम, तमिलनाडु में काफी प्रसिद्ध है। यह कांचीपुरम इडली वहां पर मंदिरों में प्रसाद के रूप में
बांटी जाती है। इसे आप एकंबरनाथ मंदिर के काउंटर से प्राप्त कर सकते हैं।
यह
कांचीपुरम इडली काफी जगह दूसरे इलाकों में भी खाई जाती है। यह इडली आम इडली की तरह फीकी और
सादी नहीं होती। बल्कि यह काफी स्वाद से भरी होती है। एकंबरनाथ मंदिर के काउंटर
पर इडली के अलावा खीर और अन्य प्रसाद भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
खुलने का समय - एकंबर नाथ मंदिर सुबह 6 बजे दर्शन
के लिए खुलता है। यह दोपहर 12.30 बजे बंद हो जाता है। दुबारा शाम को 4 बजे खुलता
है। रात्रि 8.30 बजे मंदिर बंद हो जाता है। मार्च अप्रैल में मनाया जाने वाला
फाल्गुनी उथीरम इस मंदिर का बड़ा त्योहार होता है।
Dearest Esteems,
ReplyDeleteWe are Offering best Global Financial Service rendered to the general public with maximum satisfaction,maximum risk free. Do not miss this opportunity. Join the most trusted financial institution and secure a legitimate financial empowerment to add meaning to your life/business.
Contact Dr. James Eric Firm via
Email: fastloanoffer34@gmail.com
Whatsapp +918929509036
Best Regards,
Dr. James Eric.
Executive Investment
Consultant./Mediator/Facilitator