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दिल्ली के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में संरक्षित डीएचआर का लोकोमोटिव 777बी । |
यह एक स्वप्नलोक के सफर जैसा
है। जो इस सफर पर जाता है उसके लिए ये यादगार बन जाता है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
(डीएचआर) यानी यादगार सफर पर ले जाने वाली एक खिलौना ट्रेन। ये दुनिया की सबसे
पुरानी खिलौना ट्रेनों में से एक है। इसका सफर 4 जुलाई 1881 को आरंभ हुआ।
छोटी रेल का सफर पश्चिम
बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी (एनजेपी) से शुरू होता है। हिल स्टेशन दार्जिलिंग तक का
सफर आठ घंटे का है लेकिन इसे अंग्रेजी के एक लोकप्रिय लेखक ने इतना आनंददायक औऱ
सुखकर बताया था कि इस सफर को एक हफ्ते का रहने की उन्होंने इच्छा जताई थी। डीएचआर का
सफर वाकई इतना रूमानी है।
ये भारत की दूसरी सबसे पुरानी नैरो गेज रेलवे
लाइन है। इससे पहले देश की पहली नैरो गेज रेल गुजरात के बड़ौदा में बिछाई जा चुकी
थी।
इस 85 किलोमीटर के सफर की शुरुआत न्यू जलपाईगुडी से होती है। सिलिगुडी़ टाउन और
सिलिगुडी जंक्शन जैसे स्टेशन मैदानी इलाके में हैं लेकिन जैसे ही ट्रेन सुकना
स्टेशन पहुंचती है चाय के बगान शुरू हो जाते है। इसके साथ ही शुरू हो जाती है
हरियाली और साथ में अत्यंत खूबसूरत रास्ते।
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बतासिया लूप का नजारा। |
दार्जिलिंग के न्यूजलपाई गुड़ी
के बीच रोज एक ही ट्रेन चलती है। सुबह नौ बजे न्यूजलपाई गुडी से जाने वाली ट्रेन
शाम को दार्जिलिंग पहुंचाती है। लेकिन सचमुच ये सफर यादगार होता है। डीएचआर का
सबसे खूबसूरत नजारा बतासिया लूप में देखा जा सकता है जो घूम स्टेशन के पास है। इस
खिलौना ट्रेन में चाहे आप सेकेंड क्लास में भी सफर करें या फिर फर्स्ट क्लास में
सफर का आनंद उतना ही रहता है।
अगर इस खिलौना ट्रेन का पूरा
सफर का मजा नहीं उठा सके हैं तो कम से कम दार्जिलिंग से घूम तक के सफऱ का आनंद
जरूर उठाएं। इन दोनों स्टेशनों के बीच जॉय राइड नाम से ट्रेनें चलती हैं। इस मार्ग
पर आता है बतासिला लूप जहां ट्रेन चकरघिन्नी काटती हुई अदभुत घुमाव लेती है। यहां
पर एक सुंदर पार्क भी बना हुआ है।
कैसे करें डीएचआर का सफर - इस ट्रेन के सफर के
लिए देश के किसी भी कोने से आरक्षण कराया जा सकता है। इसके लिए आप इंडियन रेलवे की
साइट पर जा सकते हैं। दुनिया भर में डीएचआर के प्रेमियों ने अलग से इसकी वेबसाइट
बना रखी है। इस साइट पर वे सफर के बारे में जानकारी अपडेट करते रहते हैं। यहां
जाएं- www.dhrs.org/
इस मार्ग को यूनेस्को ने 1999 विश्व धरोहर का दर्जा दे दिया है।
हमारी 2010 जुलाई की यात्रा के दौरान डीएचआर का सफर सिर्फ दार्जिलिंग के कर्सियांग के बीच जारी था। लिहाजा हमने इसके पूरे सफर का आनंद नहीं लिया। हमने दार्जिलिंग के घूम तक जॉय राइड का मजा लिया। आप भी अगर पूरे सफर का आनंद न ले पाएं तो जॉय राइड तो जरूर करें।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( DHR, डीएचआर- 1)
( DHR, DARJEELING HIMALAYAN RAILWAY )
REMEMBER IT IS A WORLD HERITAGE SITE
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