कोलकाता के काली घाट की ही सड़क पर मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज आफ चेरिटी यानी निर्मल हृदय का
मुख्यालय भी है। यहीं से महान समाज सेविका मदर टेरेसा ने कई दशक तक अपनी
गतिविधियों का संचालन किया। उन्हें अपने महान कार्यों के लिए सेवा का नोबल
पुरस्कार भी मिला।
मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया है। उनका जन्म आन्येजे गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं। वे भारत आईं तो यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसोडोनिया में हुआ था। पांच सिंतबर 1997 को उन्होंने कोलकाता में आखिरी सांस ली। आईएएस अधिकारी नवीन चावला ने मदर टेरेसा की प्रमाणिक जीवन लिखी है।
मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया है। उनका जन्म आन्येजे गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं। वे भारत आईं तो यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसोडोनिया में हुआ था। पांच सिंतबर 1997 को उन्होंने कोलकाता में आखिरी सांस ली। आईएएस अधिकारी नवीन चावला ने मदर टेरेसा की प्रमाणिक जीवन लिखी है।

मदर टेरेसा 6 जनवरी 1929 को भारत पहुंची। उन्होंने बिहार के पटना के होली फेमिली हॉस्पीटल से नर्सिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। सन 1990 के दशक में मदर की संस्था दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में निराश्रित बच्चों की सेवा करने में जुटी थी।
मदर टेरेसा को उनके सेवा कार्यों के लिए भारतीय नागरिक के तौर शांति का नोबेल पुरस्कार मिला।
कोलकाता का बिड़ला तारामंडल - अपने कोलकाता प्रवास के दौरान हमलोगों ने तारामंडल भी देखा।कोलकाताके तारामंडल का नाम एमपी बिड़ला प्लेनेटोरियम है। इसकी स्थापना 1963 में हुई थी। यह खास तौर पर विज्ञान में रूचि रखने वाले छात्रों के देखने लायक है। इसका बाहर से आकार सांची के बौद्ध स्तूप की तरह दिया गया है। हर रोज यहां अलग अलग तरह के शो होते हैं जो अंतरिक्ष के बारे में आपका ज्ञान बढ़ाते हैं।
बिड़ला तारामंडल विक्टोरिया मेमोरियल के पास ही स्थित है। दो जनवरी 1963 को इसका उदघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने किया था। दोपहर 12 बजे शाम सात बजे बीच हर रोज यहां अंग्रेजी बांग्ला और हिंदी में कई शो होते हैं। यह तारामंडल माधव प्रसाद बिड़ला के नाम पर बना है। 4 जुलाई 1918 को जन्मे माधव प्रसाद बिड़ला की विज्ञान और शिक्षण में गहरी रूचि थी। उनके नाम पर कोलकाता में एमपी बिड़ला एकेडमी भी है। इस समूह कारोबार सीमेंट और केबल आदि के क्षेत्र में है।
कोलकाता से वापसी पंजाब मेल से - पहले हमारा कोलकाता में तीन दिन रुकने का ही कार्यक्रम था।पर मेरी सलाह पर पिता जी ने तीन दिन अवकाश और बढ़ा लिया। वापसी का टिकट रद्द कराकर अगली तारीख का टिकट बनवा लिया गया। हमारी पटना वापसी पंजाब मेल से हुई। यह ट्रेन हावड़ा से रात नौ बजे के आसपास खुली। हमने मारवाड़ी बासा में आखिरी बार डिनर लिया और ट्रेन में सवार हो गए। वापसी में हमारा टिकट प्रथम श्रेणी कोच में है। यह वातानुकूलित नहीं है। अब रेलवे में इस तरह के कोच हटा दिए गए हैं। सुबह हुई तो हमारी ट्रेन फतुहा से निकल कर पटना में प्रवेश करने वाली थी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( KOLKATA, MOTHER TERESA, PUNJAB MAIL )
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