कांगड़ा की
मनोरम वादियों में बैजनाथ पपरोला में है भगवान शिव का अनूठा वैद्यनाथ मंदिर।
वैद्यनाथ यानी चिकित्सकों के देवता। सभी रोग दुख को दूर करने वाले शिव। पठानकोट से
जोगिंदर नगर तक चलने वाली कांगड़ा घाटी रेल मार्ग पर बैजनाथ पपरोला रेलवे स्टेशन
आता है। बैजनाथ में ही नेशनल हाईवे पर ये मंदिर स्थित है।
तेरहवीं सदी
में पत्थरों से बना ये मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। चौकोर चबूतरे पर
पत्थरों से बना महादेव का विशाल मंदिर। उत्तर भारतीय मंदिर निर्माण की नागर शैली
में बने इस मंदिर समूह में दीवारों पर उत्कृष्ट कलाकृतियां उकेरी गई हैं। मंदिर
में 1204 ई. से लगातार पूजा होने का प्रमाण
मिलता है। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण बारहवीं सदी में हकू और मयंक नामक दो
व्यापारी भाइयों ने शुरू करवाया था।
मंदिर में
संस्कृत में लगे शिलालेख में मंदिर के निर्माण की कथा लिखी गई है। 18 वीं सदी में राजा संसारचंद ने इसकी
मरम्मत कराई। पूरा मंदिर ऊंची बारादरी से घिरा है। बारादरी की दीवारों पर भी
खूबसूरत नक्काशी में प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। मुख्य मंदिर के पास ही तीन-चार
छोटे-छोटे मंदिर और हैं। मंदिर परिसर शिव की सवारी नंदी बैल की भी एक अनूठी
प्रतिमा है।
भारतीय
पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इस बैजनाथ मंदिर के तीन तरफ छोटे-छोटे हरे-भरे
पार्क हैं। एक तरफ बहुत गहरी नदी बहती है। नदी के उस पार हिमालय की विशाल पर्वत
श्रंखला दिखाई देती है। प्रकृति के गोद में बना इस मंदिर में जाने पर बाकी मंदिरों
से कुछ अलग सा एहसास होता है। स्थानीय श्रद्धालु मंदिर को देशभर के बारह
ज्योतिर्लिंगों में से एक बताते हैं।
बैजनाथ
मंदिर में आप कभी जाएं ज्यादा भीड़भाड़ नहीं दिखती। एक खास तरह की शांति का एहसास
होता है यहां। दशहरे पर भी यहां मेला नहीं लगता। भक्तों का मानना है कि शिव के
बड़े भक्त रावण ने अपने दस सिर शिव को न्योछावर कर दिए थे। तो इतने बड़े शिवभक्त
के पराजय का उत्सव कैसे मनाया जा सकता है भला।
साल 2006 से मंदिर का प्रबंधन हिमाचल सरकार के
हाथ में है। पठानकोट-जोगिन्दर नगर सेक्शन उत्तर रेलवे का मनोरम पर्वतीय सेक्शन है
जोकि हिमाचल प्रदेश की मनोहारी कांगड़ा घाटी की सैर कराता है। इसी मर्ग पर पालमपुर
से 16 किलोमीटर आगे है शिव का बैजनाथ मंदिर। यहां
आने वाले श्रद्धालु कांगड़ा घाटी के बाकी पर्यटक स्थलों और धार्मिक स्थलों को
घूमने का भी आनंद उठा सकते हैं।
बैजनाथ मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं तथा प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का खास केन्द्र
है। क्योंकि इस रेलमार्ग के आसपास चामुंडा देवी, मैगलोडगंज
बौद्ध मंदिर, ब्रजेश्वरी देवी, ज्वालादेवी जैसे भी मंदिर हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके परिवार तथा
मित्रों के लिए विशेष रेलगाड़ी हो तो लगभग 20 हजार
देकर स्पेशल ट्रेन भी बुक कर सकते हैं।
- माधवी रंजना
(JYOTIRLINGAM, TEMPLE, SHIVA)
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